तनहा कर के हमें
अब वो महफ़िलों की जान हैं।
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#Delhite #12 Jan🎂 #बातें कुछ अनकही सी....
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फ़र्क बस इतना
अब कुछ नहीं पास।
ना मिलन की तड़प
ना जुदाई का डर।
बचा है तो बस
तन्हाई का साथ ।-
तो गुम हम कहीं हो जाते हैं।
ना चाह कर भी उस दलदल में
फसे चले जाते है।
भुलाना चाहते हैं जिस शख़्स को
बस उसी के हो के रह जाते हैं।-
पर क्यों मैं तुम्हारी चाँदनी नहीं।
मैं हूँ दीवानी तेरी
पर क्यों मैं तेरी दीवानगी नहीं।
तू है मोहब्बत मेरी
पर क्यों मैं तेरी चाहत नहीं।-
हर एक रिश्ता झूठा है।
जो कहते है वो हैं मेरे
वहीं समझो धोख़ा है।
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