मां,
निःशब्द हैं मन तेरी ममता देखकर,
धन्य हूं हर पल तुझको पाकर।
लाख मर्ज की एक दवा तेरी मुस्कान,
तेरे अस्तित्व में छिपी हैं मेरी पहचान।
घर का चूल्हा, जीवन-बसेरा,
सब तुझसे ही रोशन हैं।
पाकर तेरी ममता की छाया,
तेरी दी ज़िंदगी लगती खुबसूरत हैं।❤️
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भेजती हूं पैग़ाम चांद से,तुम उसे पढ़ते हो क्या
पढ़कर संदेशा मेरा,हौले से मुस्कुराते हो क्या
यूं तो हिचकिचाते बहुत हैं,हाल-ए-दिल बयां करने से
पर सच जानने के बाद,मुझे स्वीकारते हो क्या-
बात को घुमाने से क्या फायदा।
बात सच हैं तो कड़वी ही सही,
जरूरत नहीं पड़ती लेने का जायज़ा।
आंच आने नहीं देती स्वाभिमान पर,
सुनिश्चित हैं इसका ये फ़ायदा।
देर से ही मगर जीत होती हैं इसकी,
अनोखा हैं इसका हर कायदा।
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कि तुम मुझसे मोहब्बत करते हो।
बिना ये जानें मैंने खुद को समर्पित किया,
तुम्हारे प्रेम में पड़कर,
अपूर्ण से पूर्ण की ओर बढ़ते हुए,
मैंने खुद में पाया परिवर्तन,
बेफिक्र से फिक्र करने वाली,
नासमझ से समझने वाली,
अधीर से धैर्य रखने वाली,
कठोर से कोमल होने वाली,
इस अभूतपूर्व परिवर्तन के बाद,
अब इंतजार हैं उस पल का,
जब तुम कहोगे
कि हां मैं भी तुमसे मोहब्बत करता हूं।
और अंतत: मुझे सम्पूर्ण करोगे।
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न जानें कितने योनियां भटकने के बाद,
आज हम बने हैं एक इंसान।
तो क्यूं हर बात को लेकर,
रहते हरदम हम परेशान।
दृष्टि नहीं दृष्टिकोण बदल बस,
मिलेगा हर समस्या का निदान।
लबों के साथ हर रोम खिलें जाए,
बिखेर चेहरे पर ऐसी मुस्कान।
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हर बीतते लम्हें पर।
पल में व्यथित करता,
अगले पल खुशियों से भर देता।
जब मांगीं दुआ कबूल हो जाती,
कैसे हुआ ये सोच मन मुस्कुराता।
हर पल खुद में निराला हैं,
अपने अंदाज में ये जीने का हुनर सीखाता।-
आसान तुझसे ये दूरी।
लेकिन जिदंगी के इस पड़ाव पर,
यह अत्यंत हैं जरुरी।
मंजिल तक पहुंचने में मुश्किलें तो आएगीं,
पर यहीं मुश्किलें तुझे निखारेगीं।
हर कदम पर तुझे मेरी याद आएगीं,
पर तेरी कोशिशें तुझे खुद से मिलवाएगीं।
गिरते संभलते जब तू अपने पैरों पर खड़ा होगा,
नम आंखों के साथ तेरी मां मुस्कुराएगीं।
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उसके दीदार से शुरु होता हैं।
चंचल आंखें, मनमोहक मुस्कान,
सुरीली आवाज, बेखौफ अंदाज
तारीफ करने पर उसकी,
कम पड़ जाते मेरे अल्फ़ाज़।
अपने दयालु हृदय से,
उसने जीता था दिल मेरा।
अधूरी सी जी रहीं थीं मैं,
थामकर हाथ उसने मुझे किया पूरा।
बना रहें ये साथ ताउम्र ओ खुदा,
जिंदगी के हर पल में तुझसे यहीं इल्तज़ा।
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हमारी पहली मुलाकात।
तुम्हारे रूदन की किलकारी से,
गूंजा था हमारा जहान।
दीदार हुआ था पहली बार,
जिस में बसती हैं हमारी जान।
ममता लुटाने के लिए बेकरार मां को,
मिली थी उसकी प्यारी संतान।-