हैं कुछ सवाल मेरे,
किसी और से नहीं खुद से,
या शायद उनसे जो पाक हैं और मैं हूं उनके लिए नापाक।
वैसे गलती क्या रही होगी मेरी,
जिनीं चाही मैंने ज़िंदगी मेरी।
अच्छा तुम तो साफ हों,
हैं तुम्हारे कायदे अपने तुम तो बेदाग हों।
चलो जीकर करो अपने कायदों की,
बनाओ कोई पैमाना,
जहां तैयार हो मेरे चरित्र का प्रमाण पत्र।
क्या यूंही गिराए रखोगे आपनी नज़रों से मुझे,
दाग़ लिए नज़रे झुकाए,
या हैं कोई हल तो हमें सुझाओ।
_✍नम्रता-
|Nice shabdon ka clever jaal called poetry|
|Dare to express|
कहुं एक बात करोगे याकिन,
एक अरसे बाद डायरी पलटी है मैंने अपनी।
हाँ चलो माना गए तुम सब भूला,
और क्यों ना हो मैं हुं क्या कम बुरा।
पर जाते हुए मुझे मेरी प्रेरणा (तुम) वापस दे गए,
लिखने की वजह (तुम) वापस दे गए।
भूल गई थी ये खूबसूरती,
फरेब का चोला लिऐ थी घुमती।
हां सुनो,
थी तुम्हारी बदकिश्मति या कहूं मेरी खुशकिश्मति,
प्यार पहले तुम्हें हुआ,
अब जब मुझे धिक्कार जानें लगे तुम तब मुझे हुआ,
पर जब ये मुझे हुआ क्या कहुं पागलों सा अब कयूं हुआ।
ना ना समझना ना हैं तुमपे कोई बंदिश,
ये तो हैं बस मेरी नाकाम कोशिश।
मोह नहीं रखती तुम मिलो जिंदगी भर,
मुझसे मेरी वापस पहचान कराई हैं ये बस एहसान भर।
हां निकाल दिया मुझे जिंदगी से अपने,
पर अब यूंही मिलते रहेंगे तुमसे,
अपनी कल्पनाओं, शब्दों और कविताओं में।
_✍नम्रता-
इतनी भी जल्दी क्या थी,
तुम ना सही,
मैं ही तुमहे जान लेती..
_✍नम्रता-
फसल की उम्मीद लिए
रेत पर बीज बोए बैठीं हूँ,
दिल नाउम्मीद अब भी नहींं
बादल की आश लिए बैठीं हूँ..
_✍नम्रता-
सुना है बंद कर लीं उसने आँखें,
कई रातों से वो सोया नहीं था.
मैं तन्हा था मगर इतना नहीं था,
तेरे बारे में जब सोचा नहीं था.
_जगजीत सिंह-
कब तक दर्द को आंसूओ में पिरोया जाए,
जिंदगी बता तेरे किस-किस बात पर रोया जाए..
_✍नम्रता-
हम ख़ामोशी से बहते रहे ज़िन्दगी की धार में,
अब तो ये भी सुध नहीं
मेरे आरव को इमकान है शोर का..
_✍नम्रता-
कुछ यादें बनाईं थीं हमनें,
मिट कर ना मिटने वालीं तस्वीरें बनाईं थीं हमनें,
वो याद..वो तस्वीर छोड़ जाओ,
मेरे पास छोड़ जाओ.
अब चलों मान ही लिया,
मंज़िल रास्ते तुमनें बदल ही लिया.
हाँ, हैं कुछ रिश्ते अब भी साथ चाहतीं हैं तुम्हारा,
उन रास्तों पर इन्तजार का हक़ छोड़ जाओ,
हां मेरे पास छोड़ जाओ..
_✍नम्रता-