मेरे बस में अगर कुछ होता
तो कोई खून के आंसू नहीं रोता।
धोखाधड़ी,बेईमानी नहीं उगती कहीं
हर आदमी,इंसानियत ही बोता।-
सैलाब समझ में आता है,आंखों के आंसू नहीं
यह फितरत है इश्क़ की आजकल...n
बचा लो खुद को आंसुओं के सैलाब से
दूर खड़े लोग विडियो बना रहे हैं...n
सैलाब उमड़ पड़ा तो भागने की जगह नहीं मिलेगी
तुमने बुलाया था तो भुगतना भी पड़ेगा ...n
यूं हीं तो नहीं आया होगा
सैलाब को भी किसी ने रूलाया होगा...n
वो बांध बांधकर बैठे थे,सैलाब हंस रहा था.
कोई कारीगीरी पर ऐंठ रहा था कहीं तूफान मेहरबान था...n
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कभी कभी गलती से गलती हो जाती है
प्रायश्चित से मिलती शांति।
दूरियां बना कर संग चलें,
और न पालें मन में किसी तरह की भ्रांति।
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तू ही तो दीपक है.
तू ही चिराग.
तू मेरी जिंदगी का सूरज भी
तू ही मेरा भाग.(भाग्य)
तेरे लिए ही जीतीं हूॅं
तुझसे ही बंधीं एक आस.
तू रूठा और न माना फिर तो
मांगूं अंतिम प्रवास.
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मुझे शांति प्रिय संगीत की धुन सवार
तुम डी जे के शौकीन।
मैं मीठी भाषा की जलेबी
तुम करैले के बनें नमकीन।
कैसे कोई बात करे आज
और क्यों ही करे प्रतिदिन।
जब बात बात पर चिढ़ना तुम्हारा
और पसंद है,करना किसी की तौहीन।-
हम मिलकर बैठते तो चर्चा-ए-ख़ास होती।
फिजूल बातें न होती तेरी,न मेरी बकवास होती।-
दोस्ती और रिश्ते बड़ा जंजाल बन जातें हैं।
छोटी छोटी बातों में जब बहस पर तन जातें हैं।-
अपराध नहीं था किया कोई
पर मन स्वयं को अपराधी मान बैठा।
भूख तो दो रोटी की थी
स्त्री हूॅं ना,मन आधी में मान बैठा।-
क़लम उठाई जानीं थी
पर पिस्तौल तानीं गई।
बोलतीं जिव्हा चंद शब्द,
उससे पहले वाणी गयी।
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बदलते मौसम की तरह पत्तों ने भी स्वयं को बदल लिया है।
नये कोंपलों को हरियाली का अवसर देकर
रंग पीला ओढ़ लिया है।-