अब उन्हे बताया जाएगा उन्हे औरनजेब का शासन काल कैसा होता है हिंदुओ द्वारा याद दियाया जाएगा ,
अब देश से आतंकवाद की नस्लों को जड़ से मिटाया जाएगा ,
अब भगवा घर- घर मे लहराएगा । जो ना बोले वंदे मातरम भारत माता की जय उसे तालिबान के राज मे अफगानितान भेजा जाएगा और उन्हें भी पता लग जायेगा कैसे इस्लाम मे जुल्म किए जाते है ।-
जो रो रहे घर टूटने पर तो क्या हुआ रोने दो ,
पत्थर उठाया था घर टूट गया अब बंदूक उठाने से तो डरेगा ,
अला हु अकबर कहकर मासूम लोगो की जान से तो ना खेलेगा ,
कम से कम चैन की नींद मरेगा सेना की गोली खाकर मरने के रिवाज को तो तोड़ेगा ,
थोड़ा अत्याचार उनके साथ भी होने दो जिन्होंने अत्याचार किए दूसरो पर हो ,
पहले इतिहास उन्होंने बनाया था अब हमें उसे दोहराने दो ,-
जैसे एक जात(मुस्लिम ) लोगो का जीवन ही आतंकवादी बनने और गोली खाकर मरने के लिए ही होता है ,
क्यों ना वो कितना धर्म 5 टाइम नमाज और शांति की बात करते है ,
लेकिन नफरत का प्रचार करते है खून मे दगा देना और बिना फालतू के जिंदा होते हुए जन्नत के सपने देखना ,
अला हु अकबर के नारे लगा कर बेचारे मासूम लोगो को मारना ,
इस्लाम यही सिखाता तो लोग चुप क्यों रह जाता
ऐसे ही लोग अपने साम्राज्य आने पर सभी धर्मो को मिटाने का संकल्प करते है ,
और उनपे करे कोई जुल्म तो वो औरंजेब को भूल जाते-
पहले सबको लगता था नींबू दूध फाड़ने मे काम आता है ,
लेकिन अब पता चला आम आदमी की जेब फाड़ने की हिम्मत भी रखता है-
जब-जब गैर सामाजिक तत्वों का राज आएगा तब-तब हिंदुओ को जड़ से मिटाने का प्रयास किया जाएगा , और हिंदू अपने राज में हमेशा अपना दिल बड़ा करके सबका साथ ,सबका विकास ही करवाएगा ।
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Celebration of Pharmacy day I have present a beautiful poem in Hindi .
Check the caption-
एक दिन वो मिली मुझको फिर दोबारा,
मैने भी पूछ लिया तुम्हे याद है क्या अपना
फ़साना ..
मैने पूछा क्यों अब बात नहीं करती हो ,
नाराज हो या दिखावा करती हो,
उसने कहा मै बिन मतलब याद नहीं करती हूं,
मैं बस दोस्ती करने का दिखावा करती हूं ,
दोस्ती को बदनाम कर फिर नया यार पकड़ती हूं ।
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नींद थी आंखो मे मगर सो नही पाया,
आलस था मन में मगर बाहर ला नही पाया ,
थकान थी बहुत मगर कभी रुक नही पाया ,
जो सपना देखा है मैने उसे कभी भुला नही पाया ,
जब भी देखा मैने खुद को उस मेहनत की भट्टी में ,
जितना तपाया उतना खुद को निखरता ही पाया ।-
ग्रेजुएशन करली मैने , बहुत -सी किताबे पढ़ ली मैने,
मगर मैं उसे कभी समझ नही पाया , प्यार किया मैने उससे बहुत शायद उसे जता नही पाया , जब छोड़ गई वो मुझको जब मुझे समझ आया , आखिर मै इतना पढ़कर भी प्यार में अनपढ़ कहलाया , आखिर मेरा पढ़ना उसे रास ना आया ।-