कुछ नहीं कह कर भी जाने किस कदर !
आदमी खाता है ठोकर दरबदर !!
जिनको अपना मान कर चलते रहे,
उसने छुपकर वार किया है पीठ पर।
बेजुबान जानवर अच्छे हैं फिर भी,
शिद्दत से वफादारी निभाते हैं मरकर।
नखरें उठा और अरमां भी किए पूरे,
वही मां बाप को देते हैं गम उम्रभर।
खुद के लिए जीते हैं, जीता है जहां
औरों का हक भी मार रहते बेखबर !
प्यार के दो बोल समझे जानवर भी,
अपनों से वफादार 'प्रकाश' रहगुजर !
नमिता'प्रकाश'✍️✍️
४/५/२०२२
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