आंखें उसकी खंजर का काम करती हैं
वो जंग बिना हथियारों के साथ करती है-
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अब तक कुछ खास नहीं....
Joined 22 August 2019
4 MAY 2022 AT 16:44
26 AUG 2021 AT 18:04
मैं शेष हूं पर विशेष हूं
मैं गर्म रक्त का प्रवाह हूं
मै डगमगाती नाव हूं
मैं तलवार की धार हूं
मैं बुद्ध का विचार हूं
मैं युद्ध का शंखनाद हूं
मैं पूर्ण सा विराम हूं
मैं शमशान की राख हूं
मैं एक अकस्मात विचार हूं-
14 AUG 2021 AT 21:57
मुद्दतों हो गए अब इन गलियों से कोई गुजरता नहीं
एक वक्त पर ये गलियां शहरों को जोड़ा करती थी-
14 AUG 2021 AT 10:47
ये मुनासिब ना होगा की सारे इल्जाम मैं तुम पर लगा दू कुछ कसूर मेरे पसंद का भी है
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12 JUL 2021 AT 0:02
आरजू थी हमारी गुलाबो के शहर में रहने की
बेफिक्र थे हम कांटों की धार से-
10 JUL 2021 AT 23:17
जब भी मेरे जख्म भरने लगते हैं
हम तेरी तस्वीर का दीदार कर लिया करते हैं-
10 JUL 2021 AT 0:01
किस कदर खुशनसीब होंगे वो लोग जिन्हें
हमारे हिस्से की मोहब्बत खैरात में मिली होगी-