हर किरदार में रहने की आदत सी है
तुझे इक नज़र देखना बस इबादत सी है...-
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पुरानी ताख पे दीये , अच्छे लगते है।
हम तुम्हारे साथ ही, अच्छे लगते है।
ये दुनिया क्या जाने, क्या अच्छा है।
इसे तो बुरे लोग भी, अच्छे लगते है।
तारे ,नज़ारे, ये चांद या सावन
क्या हाज़िर कर दूं।
तुम्हे तो ये सब , अच्छे लगते है।
इक ही तो चेहरा है इस जहां में।
जिस चेहरे को , हम अच्छे लगते है।
ये किसने कहा समेट लो जुल्फों को ,
मुझे तो ये खुले ही अच्छे लगते है।-
अब तो हर सितम खास रहता है,
दूर रहकर भी वो मेरे पास रहता है,
मैं बेवज़ह हँसता रहता था याद में,
वो न जाने क्यों उदास रहता है..-
किताबे भी जलाई जा रही थी,
खत भी जलाये जा रहे थे,
इक अपना चला गया इस जहान से,
हम उसी के गीत गाये जा रहे थे..-
जिन्दगी कुछ यूं बे-हिसाब हो गयी,
कुछ खुल गयी पन्नों सी कुछ किताब हो गयी..-
मोम समझा जिसे मैं किया,वो तो पत्थर जिगर हो गया,
मेरे घर मे कभी न सही,मेरे दिल मे ही घर हो गया,
अब वो किस्से कहॉ है रहे,अब कहानी कहॉ है रही,
न मै पागल दीवाना रहा,न वो लड़की दीवानी रही,
मेरी बस इक गुजारिश पे वो ,अब तो आंसू बहाने लगे,
मैं बुलाता रहा उम्र भर ,वो बहाने बताने लगे,
नफरतों का तो बस दौर था,रंजिशो की रवानी रही,
जिसको बैठाया इस दिल मे था,मुझको सूरत पुरानी लगी-
ये ख़त तुम तक कैसे आएगा,
पंछी है उडता जाएगा,
जुगनू ला दिये है खुशामद में तेरी,
सोच रहा हूं ये चॉद कैसे आएगा..-
हो गये अगर मायूस यूं हमसे हम कैसे जी पायेंगे,
पाकर के तुमको ही बस खुशियों से भर जायेंगे,
देखा तुमने मुझको अब झुका के पलके अपनी यूं,
सच कहता हूं तेरी कसम बस जीते जी मर जायेंगे..
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किस बेवफ़ाई की सज़ा दे रहे हो,
मेरे हालात का तुम भी मज़ा ले रहे हो..-
मिलाकर नजरों से नजरें क्यों नज़रे मोड़ लेते हो,
सरे बाज़ार में क्यों हाथ मेरा छोड़ देते हो,
तुम्हारी गलती जानोगे मेरे शहरों मे आकर तुम,
लगाकर दिल से दिल एेसे जो दिल को तोड़ देते हो..-