इन फासलों की जकड़न में जकड़ के इक दूसरे को छू तक न सके हैं हम,
और हां, ये मोहब्बत भी क़ायम रहेगी इक दूसरे के बदन से बदन छूने तक।
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Naman Sharma
(Naman Sharma)
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दानव😈
Man😎Wid Hell🔥
Not a writer🔥
Brkn💔 bt strngr😎
I find a strength in a pain🔥
Am I int... read more
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Am I int... read more
Joined 5 September 2017
24 JAN 2022 AT 15:07
22 JAN 2022 AT 20:49
फासलों में ही लिख दो चाहे लफ्ज़ दूर दूर ही लिख दो
दिल की करीबियां लिख दो चाहे लफ्ज़ "मजबूर" हूं लिख दो
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22 JAN 2022 AT 20:45
मुश्किल है तेरी वाहों से लिपट पाना , फिर नींद लगते है तुझे ख्वाबों में देख लेता हूं
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22 JAN 2022 AT 20:42
इस रात को भी यूं गुजर जाने दो
तुम्हारी याद में !
फासलों के मायने मुझे अकेले
थोड़ी समझना है।
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3 SEP 2021 AT 23:22
कृष्ण
अम्बर में कुन्तल-जाल देख,
पद के नीचे पाताल देख,
मुट्ठी में तीनों काल देख,
मेरा स्वरूप विकराल देख।
सब जन्म मुझी से पाते हैं,
फिर लौट मुझी में आते हैं।
दिनकर-
1 SEP 2021 AT 20:45
अब यह शोर चिढ़ता है मुझे सालगिरह पर, अब
तेरी और से जन्म दिन की बधाइयां नहीं आती।
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