कितना बदकिरदार हो गया है इश्क
राजनीति का शिकार हो गया है इश्क
पहले मर्यादाओं में हुआ करता था
पहले मर्यादाओं में हुआ करता था
अब जिस्म की नुमाइश का बाजार
हो गया है इश्क...-
बस यूं ही ..........
रोज़ बिछौने पे एड़ियों से
सपनों की राख़ उड़ाते है ,
हम पलकों पे हर एक
आह को कुछ यूं जलाते है ।।$।।-
झूठे ख्वाब तो
मेरी निगाहे भी देखती है ,
कोई सच्चे
मंजर दिखाए तो बात बने ।।-
मदहोश सी कर जाती है
गुजरती हुई हवा ,
तेरी खुशबू जो साथ ले आती है ।।-
आँखों में अब कहाँ सपने सजते हैं ,
होंठों में अब कहाँ हंसी चिपकती हैं ,
तुम जब से क्या गये हो ,
बस बेख्याली सी रहती हैं ।।$।।-
ना तुम बेवफा कहना मुझे
न हम तुमको कहेंगे ,
क्या हुआ कोई नया मिला
फिर भी हम थोड़े से तेरे रहेंगे ..😂😂💞-
बस यूं ही ...........
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मेरे दिल की उलझनों को ,
तुम अपना बता दो ना ,
कुछ ना करो बस ,
दुआ में मेरी अपना हाँथ उठा दो ना ।।
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चरागों चलो अबकी घर जला दो
रोशनी कम सी लगी उनको
अबकी ये तन भी जला दो
मन जल कर कोयला हुआ
बेरुखी से उनकी
मोहब्बत की अब हर सौग़ात जला दो
चलो चरागों अबकी घर जला दो ।।$।।-
सिलसिले लगे रहते है गम के ,
एक तो जिंदगी
उसपर मैंने मोहब्बत कर ली ..-