29 JUL 2019 AT 0:11

यशोदा -देवकी
भगवान कृष्ण देवकीनन्दन हैं। यह रहस्य गोपी या व्रजवासी तो भगवान के द्वारा मथुरा गमन के बाद कंस वध के बाद जान पाये। व्रजवासी तो भगवान को यशोदानंदन ही मानते रहे हैं। जानते रहे हैं। परन्तु भागवत में 10 21 10 वेणुगीत में गोपियाँ कहती हैं -
यद् देवकीसुतपदाम्बुजलब्धलक्ष्मि
संस्कृत में देवकीसुत स्पष्ट है पर गीताप्रेस की हिंदी व्याख्या में देवकी का अर्थ यशोदा लिया गया है।
इसी प्रकार युगलगीत 10 35 23
में गोपियाँ कहती हैं -
देवकीजठरभूरुडुराजः।।
श्लोक में देवकी लिखा व्याख्या में यशोदा लिया गया यहां भी।
तीसरी बार भी 10 39 25 में गोपियाँ भगवान को देवकीसुत कहती हैं।
कंसवध से पहले मथुरावासियों ने भगवान को एष वै किल देवक्यां जातो नीतश्च गोकुलम्।। 10 43 24 में देवकीसुत कहा है।
इसके विपरीत चाणूर ने 10 43 32 में भगवान को हे नन्दसूनो हे राम ...कहा।
अन्वितार्थ टीका में 10 21 10 की व्याख्या में लिखा है - अत्र यशोदैव देवकीनाम्ना गृह्यते । " द्वे नाम्नी नंदजायाया यशोदा देवकीत्यपि।" बृहद्विष्णु पुराण।
अन्वितार्थ में 10 35 23 एवम् 10 39 25 दोनों में भी देवकी से यशोदा ही ग्रहण किया है।
श्रीधरी टीका में व्रजराजत्वाद्देव एव देवको नन्द: तत्पत्नी देवकीति।।

- Naman krishna