बदलाव
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कभी बाहर मन से निकलो
तुमसे मुलाकात करे शायद
कोई ख्वाब किसी आकाश
कुछ पंछी जैसे जल के पास,
कभी फिक्र छोड़ो अपनों की
तुम्हे याद आ जाए शायद
कोई शक्स अधूरी बात
खुद से मिले ज़माने बाद,
बदल सकता है सच भी
बदलना चाहा कितनी बार
इंकार नहीं बदलाव से लेकिन
कौन बदलता है कितनी बार
अपना तो बदलाव ही ठिकाना था
तुम भी मिलो बदलने के बाद।
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