Nalini Tomar   (Nalini Tomar)
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Joined 23 September 2018


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Joined 23 September 2018
27 NOV 2024 AT 12:47

It hurts, when you want to remove a negative person from your life. But none other than your loved ones want to give them a crown for the best personality.

It hurts, when you try to do whatever is required and reached at your lowest for someone. And for them you are just a source of their needs nothing else.

It hurts, when you feel that you are a complete failure in every relationship, and nobody is there to say that you're wrong.

It hurts, when you feel alone even if you are surrounded by your peoples.

It hurts.

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17 OCT 2024 AT 13:30

मोहब्बत नहीं व्यापार है,
यहाँ शर्तों पर होता प्यार है,
कभी गुलामी है मांगता,
कभी मांगता है जीवन,
कभी छीने आज़ादी,
समझे न कभी मन,
और है कहता झूठ,
कि तू ही सारा संसार है,
ये मोहब्बत नहीं व्यापार है,
यहाँ शर्तों पर होता प्यार है।

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11 SEP 2024 AT 19:07

रुक जाऊँ मैं हार मान कर, ये सोच तुम्हारी सच्चाई नहीं,
बाँध सको तुम ज़ंजीरों में, है उनकी इतनी औकात नहीं,
जब मिलोगे हक़ीक़त से, तब जान पाओगे,
मैं लगती कोमल चंचल सी, हूँ आग पानी से बुझती नहीं।

हाँ ज़िद्दी भी हूँ, और हूँ करती मनमानी भी,
शांत भी हूँ मैं, और हूँ स्वाभिमानी भी,
निडर भी हूँ, और अपनों को खोने का डर भी है,
हूँ कठोर कभी, तो कभी हूँ निर्मल बहता पानी भी,
है मेरी शख्सियत थोड़ी अलग, थोड़ी अनोखी,
मुझे पाना है आसान बहुत, मगर हाथ आना मुमकिन नहीं।

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15 AUG 2024 AT 22:11

किस बात की आज़ादी मनाऊँ मैं,
मुझे सपने देखने की आज़ादी नहीं,
कब हुई मैं आज़ाद मुझे बताये कोई,
कि अकेले बाहर जाने की भी आज़ादी नहीं,
पूछती हूँ मैं हर इंसान से,
क्या आप खुद को आज़ाद समझते हैं,
मेरी नज़र से देखेंगे तो जान जाएंगे,
की हर परिस्थिति में आप इजाज़त का इंतज़ार करते हैं,
जहाँ हर तरफ खौफ है, जहाँ कोई सुरक्षित नहीं,
वहाँ सिर्फ बंदिशें हैं, कोई शख्श आज़ाद नहीं।

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12 JUN 2024 AT 19:09

मुद्दत्तों से मिलते है ऐसा हमसफ़र ऐ जाना,
जो इश्क़ भी करे और भरोसा भी,
आज तो इश्क़ भी हार जाता है एक संदेह के आगे।

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21 MAY 2024 AT 7:58

ठोकरें बहुत लगेंगी, तुम्हें खुद संभलना होगा,
चोट लगेंगी तो फिर उठ कर चलना होगा।
धोखे मिलेंगे जब तो सब्र से काम भी लेना होगा,
सब खत्म होता दिखेगा फिर भी रख हिम्मत आगे बढ़ना होगा।
जब अपने साथ छोड़ देंगे अकेले सब से लड़ना होगा,
पोंछकर आंसू अपने हाथों से मुस्कराकर बाहर निकलना होगा।
यहाँ हार कर बैठना कोई विकल्प नहीं,
जीतना है तो परिश्रम तुम्हें ही करना होगा।
कभी दिखे आगे खाई तो क़दमों को पीछे लेना होगा,
दुनियाँ को भूलकर सही गलत तुम्हें परखना होगा।
ज़िन्दगी की बाजी इतनी आसानी से नहीं जीती जाती,
बार बार गिरोगे फिर उठ खड़ा होना होगा।

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21 MAY 2024 AT 7:33

चाहे कितना भी पढ़ लिख जाएँ,
चाहे कितना ही नाम कमायें,
इन्हें तो हुकुम मानना सिखाया जाता है,
ये बेटियाँ है जनाब इनका अपना घर कहाँ होता है।
माँ बचपन से इन्हें सिखाती, कि पराये घर जाना है,
पापा पंख देते हैं, मगर उड़ने की डोर
किसी और को थमा दी जायेगी ये साथ में बतला देते हैं,
काबिलियत लड़कों से कुछ कम न हो,
फिर भी सर झुकाना पड़ता है,
ये बेटियाँ हैं जनाब, इन्हें अपना घर नहीं गुरुर भी छोड़ना पड़ता है।
कमाती है तो क्या, बेटी की कमाई थोड़े ही खाएंगे,
काम पर जाना हो तो क्या बहू है, फ़र्ज़ तो निभाए जाएंगे,
बड़ी बहन है, सही गलत सीख ले इससे,
अरे हमसे पूछे बिना कैसे कर दिया इसने,
बेटी बहुत समझदार हो गयी है व्याह देते हैं,
दूसरे के घर जाना है, ऐसे कोई जवाब देते हैं,
पता नहीं कब सही और कब गलत हो जाती हैं,
ये बेटियाँ हैं जनाब,सब सहकर भी सारे फ़र्ज़ निभाती हैं,
अपने माँ पापा की लाड़ली, झट से परायी हो जाती हैं,
ये बेटियाँ हैं जनाब,सब सुनकर भी दो परिवारों को संभालती हैं।

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21 MAY 2024 AT 7:04

फ़र्क नहीं पड़ता कि जमाना क्या है सोचता,
दुःख तब है होता जब अपना कोई नहीं समझता,
यूँ तो कहने वाले कहते ही रहते हैं,
दर्द तब होता है जब कोई अपना मन नहीं पढ़ता।
कब तक औरों के लिए जियें हम,
क्या हमारा अपना वजूद नहीं,
कब तक दूसरों के दिखाए रास्तों पर चलते रहें ,
क्या हमारी अपनी कोई सोच, कोई पहचान नहीं,
ज़माने को तो कबका ठुकरा दिया हमने,
मगर अपनों को कहाँ कोई है छोड़ता,
हर इंसान का हक़ है अपनी ज़िन्दगी पर,
काश इस सच को अपनाने वाला कोई होता।

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12 MAY 2024 AT 11:37

आपके लिये एक दिन नहीं माँ, आपसे ही हर दिन होता है,
माना दूर रहती हूँ आपसे,
मगर आपको देखे बिना, मेरा दिन कब पूरा होता है।
जब रोज़ PG का खाना खाती हूँ,
तो आपके हाथ के स्वाद को याद करती हूँ,
जब कभी दिन अच्छा न जाए,
तो पूरी कहानी आपको बताती हूँ,
आपसे सबकी शिकायत करके सुकून मिलता है,
आपसे एक दिन नहीं आपसे ही हर दिन पूरा होता है ।

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20 APR 2024 AT 22:58

वक्त के साथ समझ आया,
कि अकेलापन, अकेले रहना नहीं,
सबके बीच रहकर अकेले होना होता है।
और शब्द गैरों के नहीं,अपनो के चुभते हैं।
जीना मजबूरी बन जाती है,
और मन शान्ती की तलाश में रहता है।
जब हारती है उम्मीद सच के आगे,
चेहरे पर मुस्कान और दर्द दिल में होता है।

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