सभी निकले अपनी मंजिलों की
तलाश में दर बदर
मैं भटकता रहा अपनी खुद की
तलाश में इधर उधर
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#reader_&_ιnтereѕтed_ιn_wrιтιng
कुछ रहा नहीं,
अब
खाली सा मन है
और बन्जर सा सुनापन है,
कोई कर दे करिश्मा आकर के
इसी कश्मकश में
भटकता ये तन है...-
विरह वेदना की ज्वाला में,
दहक रहा है मेरा मन,
इतना पास चली आई थी,
रुक जाती कुछ और क्षण,
पास बिठाता गले लगाता,
मेरे सपनों की सैर कराता,
तुझे पाने की इतनी कोशिश की,
भूल गया तुम ही को में
कि तुम तो हो मेरा ही कण,
गलती हो गयी कोशिश में,
भूल गया सुध बुध अपनी में,
हाथ लगाके छूना था केवल,
जकड़ना चाहा जैसे मैं हो रण में,
खोना ही था किस्मत में फिर
चल दी तुम जैसे,
मेरा हो मैला दरपन,
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बातें ज्यादा हुई नहीं
बस आहट लेकर आ गये
चाय ठण्डी हो गई
गर्माहट लेकर आ गये
उम्मीद है कुछ पल चुनेगें
कुछ कहेगें कुछ सुनेगें
फिर मिलने की हाँ होगी
छटपटाहट लेकर आ गये...
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कई अरसे बाद आयी है हिचकियाँ इस कदर
शायद किसी ने तबियत से याद किया है...
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मैं शब्द पढ़ने में बहुत बुरा हुं
मुझे आँखें पढ़ना अच्छे से आती है।
और तुम्हारे शब्द तो बहुत उलझे हुए होते है
पर तुम्हारी आँखें मेरे मन को भाती है।।-
Me kyu na kahu ki tum mera sapna ho,
Kyuki tum spno me aati ho...
Juth bola ni jata sach batana farz hai
Or pyaar mukmal ho na ho...
Ishq jahir krne me kya harz hai
Mana ki kai sapne tode hai mene
Par kuch sapne to abhi bhi karz hai...-
बहुत कुछ सिखाया है तु ने
कभी हसाँया है तो कभी रुलाया है
कभी चलते चलते गिराया है
तो कभी गिरते हुए सम्भाला है तु ने
कभी नकाबपोश चेहरे दिखाये है
तो कभी असली से रुबरु कराया है तु ने
कभी नफरतों का दौर दिखाया है
तो कभी घना प्रेम जताया है तु ने...
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Is bheed bhari duniya me itni khushiya mil rahi hai
Phir bhi me tujhe talaash raha hu
Kabhi Kabhi lagta hai me galat Hu
Kabhi lagta hai meri chaahat galat hai ya me chahta galat Hu
Vo vkt galat tha ya ye vkt sahi hai
is galtphmi ke shikar me
Me galat Hu ya me galat ja raha hu
Koi na koi rasta dikhlayega ye vkt
Kyuki kbi lagta h m mnzil ke karib ja raha hu-