ओढ़ता हूँ जख़्म अपने आप की ख़ातिर देखता हूँ फिर कि ज्यादा खिलते जाता हूँमन नहीं करता कि इनसे बात भी कर लूँ मिल नहीं पाता कि फिर भी मिलते जाता हूँ -
ओढ़ता हूँ जख़्म अपने आप की ख़ातिर देखता हूँ फिर कि ज्यादा खिलते जाता हूँमन नहीं करता कि इनसे बात भी कर लूँ मिल नहीं पाता कि फिर भी मिलते जाता हूँ
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घर में घुसता हूँ तो लगता है कि रेगिस्तान हैमेरे इक कमरे में सारे शहर भर की गर्द हैऐसे कुछ तोहफ़े मिले मेरी मुहब्बत में मुझेदर्द अपने दे गया है मेरा जो हमदर्द है -
घर में घुसता हूँ तो लगता है कि रेगिस्तान हैमेरे इक कमरे में सारे शहर भर की गर्द हैऐसे कुछ तोहफ़े मिले मेरी मुहब्बत में मुझेदर्द अपने दे गया है मेरा जो हमदर्द है
रौशनी मेरे लिए कम कर सको तो कीजियेइस अँधेरी रात को सूरज निगलने दीजियेदो जहाँ की ज़िंदगी जीकर चले हैं दो घड़ीमरते मरते फिर मुझे कुछ और मरने दीजिये -
रौशनी मेरे लिए कम कर सको तो कीजियेइस अँधेरी रात को सूरज निगलने दीजियेदो जहाँ की ज़िंदगी जीकर चले हैं दो घड़ीमरते मरते फिर मुझे कुछ और मरने दीजिये
ज़िंदगी तुझे मैं मौत की सौतन बनाऊँगा ब्याहूँगा तुझे लेकिन इश्क़ उससे लड़ाऊँगा करूँगा बेवफाई भी मिले मौका मुझे जब भीकि तू बिस्तर सजायेगी संग मैं उसको सुलाऊँगा -
ज़िंदगी तुझे मैं मौत की सौतन बनाऊँगा ब्याहूँगा तुझे लेकिन इश्क़ उससे लड़ाऊँगा करूँगा बेवफाई भी मिले मौका मुझे जब भीकि तू बिस्तर सजायेगी संग मैं उसको सुलाऊँगा
ओढ़ता हूँ ज़ख़्म अपने आप की ख़ातिर देखता हूँ फिर कि ज्यादा खिलते जाता हूँमन नहीं करता कि इनसे बात भी कर लूँ मिल नहीं पाता कि फिर भी मिलते जाता हूँ -
ओढ़ता हूँ ज़ख़्म अपने आप की ख़ातिर देखता हूँ फिर कि ज्यादा खिलते जाता हूँमन नहीं करता कि इनसे बात भी कर लूँ मिल नहीं पाता कि फिर भी मिलते जाता हूँ
क्या कहूँ, कैसे कहूँ बेहाल हूँ इस हाल में बेसुधी में गुम हूँ तेरी यादों के जंजाल में लोग सुनकर वाह-वाही करते हैं हर बार हीरोज ही रोता हूँ अब तो मैं किसी सुर ताल में -
क्या कहूँ, कैसे कहूँ बेहाल हूँ इस हाल में बेसुधी में गुम हूँ तेरी यादों के जंजाल में लोग सुनकर वाह-वाही करते हैं हर बार हीरोज ही रोता हूँ अब तो मैं किसी सुर ताल में
कोशिशें करते कभी मर जायें हम खुद मेंमर नहीं पाते तो खुद को मारते जातेघूमते जंगल में अपनी मौत की खातिरज़िंदगी मिलती तो फिर दामन छुड़ा जातेधूप को धोखे में रख रहते अँधेरों में ज्यादा कुछ होता तो खुद को फूँकते जाते -
कोशिशें करते कभी मर जायें हम खुद मेंमर नहीं पाते तो खुद को मारते जातेघूमते जंगल में अपनी मौत की खातिरज़िंदगी मिलती तो फिर दामन छुड़ा जातेधूप को धोखे में रख रहते अँधेरों में ज्यादा कुछ होता तो खुद को फूँकते जाते
मिलना हो ख़ुद से तो तेरे शहर तक जातेआज या फिर कल नहीं पर एक दिन जातेघूमना घर-घर कि फिर घर खोजना ख़ुद मेंअपने घर होते तो फिर हम घर चले जातेकोशिशें करते कभी मर जायें हम ख़ुद मेंमर नहीं पाते तो ख़ुद को मारते जातेघूमते जंगल में अपनी मौत की ख़ातिर ज़िंदगी मिलती तो फिर दामन छुड़ा जातेतुझसे मिलने को कभी आते तेरी बस्तीतू नहीं मिलता तो फिर शमशान तक जातेधूप को धोखे में रख रहते अँधेरों मेंज्यादा कुछ होता तो ख़ुद को फूँकते जातेआते लेकर के तुझे तेरे ख़्यालों मेंमर चुका मुझमें तू ये कह कर चले जाते -
मिलना हो ख़ुद से तो तेरे शहर तक जातेआज या फिर कल नहीं पर एक दिन जातेघूमना घर-घर कि फिर घर खोजना ख़ुद मेंअपने घर होते तो फिर हम घर चले जातेकोशिशें करते कभी मर जायें हम ख़ुद मेंमर नहीं पाते तो ख़ुद को मारते जातेघूमते जंगल में अपनी मौत की ख़ातिर ज़िंदगी मिलती तो फिर दामन छुड़ा जातेतुझसे मिलने को कभी आते तेरी बस्तीतू नहीं मिलता तो फिर शमशान तक जातेधूप को धोखे में रख रहते अँधेरों मेंज्यादा कुछ होता तो ख़ुद को फूँकते जातेआते लेकर के तुझे तेरे ख़्यालों मेंमर चुका मुझमें तू ये कह कर चले जाते
ये मुहब्बत की किताबें कौन यूँ कब तक पढ़े कौन मारे रोज ही इक बात पे अपना ही मनक्या कहूँ, कैसे कहूँ, किससे कहूँ ऐ दिल तेरीकौन तेरे दर्द को कैसे करे कब तक सहन -
ये मुहब्बत की किताबें कौन यूँ कब तक पढ़े कौन मारे रोज ही इक बात पे अपना ही मनक्या कहूँ, कैसे कहूँ, किससे कहूँ ऐ दिल तेरीकौन तेरे दर्द को कैसे करे कब तक सहन
मारता हूँ दफ्न भी करता हूँ सब यादेंदिल मेरा हो या कि क़ब्रिस्तान हो जैसेकाम लेते हैं सभी अपने तरीके सेदिल मेरा दिल ना हुआ सामान हो जैसे -
मारता हूँ दफ्न भी करता हूँ सब यादेंदिल मेरा हो या कि क़ब्रिस्तान हो जैसेकाम लेते हैं सभी अपने तरीके सेदिल मेरा दिल ना हुआ सामान हो जैसे