Nakhat Praween Zeba   (Nakhat ✍)
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Joined 27 September 2017


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Joined 27 September 2017
28 MAY 2021 AT 12:05

क़ुदरती आफ़त

© नकहत प्रवीण ज़ेबा

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30 JAN 2021 AT 22:46

I really don't know what is love?
I don't know how it feels? when somebody is in love,
I don't know how to react? and I really don't know what is the sign to realise that you are in love?
Musical instruments, colourful butterflies,I think these all are filmy things because I can't feel any of them.
I think when you are in a relationship, there should be understanding between you and your partner....
There should be loyalty and shouldn't be any fake promises.
According to me, these 3 combines and form love.
If you aren't loyal and you say I love you.
Does it really make sense?
you can't understand your partner and you don't even try to...
And still you say "I love you"
Is this love?

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21 JAN 2021 AT 14:37

होती है क्या हमेशा दीदार की ज़रूरत,
आपका एक पल में निगाहों में बसना क्या काफ़ी नहीं?

क्या अहम है परखना मिरी हैसीयत,
आपकी मोहब्बत में होना क्या काफ़ी नहीं?

क्या ज़रूरी है इंसानों से मग़फ़िरत,
रब का अपने बंदों को माफ़ करना क्या काफ़ी नहीं?

क्या ज़रूरी है मेरी गलतियों पर कहना कि अच्छी नहीं मेरी तरबीयत,
आपके रंग में ढल जाना क्या काफ़ी नहीं?

क्या ज़रूरी है हाथों से छूना की हो एहसास- ए- क़ुरवत,
निगाहों निगाहों में छूना क्या काफ़ी नहीं?

© नकहत प्रवीण ज़ेबा

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19 DEC 2020 AT 20:12


On the basis of religion...
Why ??

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28 NOV 2020 AT 17:32

प्रेम में ओत प्रोत हुई स्त्रियाँ

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9 NOV 2020 AT 12:41

जब मंदिर मस्जिद से एक ही साथ "सीता राम" और "आजान" की आवाज़ आती है तो ऐसा प्रतीत होता है मानो मेरा देश वास्तव में धर्मनरपेक्ष है, परंतु जब उसी समय DJ की भी आवाज़ तीव्र गति से आने लगती है और जब हर व्यक्ति अपने आप में ही मग्न रहता है न कोई आजान सुन कर दोहराता है न मंत्र का जाप करता है तो ऐसा लगता है कि कोई आस्था नहीं बस सब दिखावा है।।

© नकहत प्रवीण ज़ेबा

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19 OCT 2020 AT 15:22

हम नाराज़ हो जाते है अक्सर,
क्योंकि दिल को तसल्ली रहती है आप मना लेंगे,
अब आप ही नाराज़ हो जाएँगे,,
तो इस तसल्ली के साथ हम कहाँ जाएँगे?

हम फ़ोन कट कर देते है ग़ुस्से में,
क्योंकि मालूम होता है आप वापस से कॉल करेंगे,
अब आप कॉल ही न करेंगे दुबारा,
तो जनाब हम ग़ुस्सा ले कर कहाँ जाएँगे?

हमसे प्यार करते है आप इतना कि बता नहीं सकते,
और हम करते भी तो इज़हार नहीं करते,
क्योंकि मेरे लिए आपका प्यार काफ़ी होता है,
अब आप मेरा इज़हार न सुन अपने इक़रार में तब्दीलियत कर देंगे,
तो जनाब ये प्यार जो सिर्फ़ आपका है ये ले कर हम कहाँ जाएँगे?


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11 JUL 2020 AT 9:41

लेखक....
(अनुशिर्षक में पूरी रचना पढ़े)

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18 JUN 2020 AT 23:36

हम कैसे भूले गुज़रे लम्हें कैसे तुमको ना याद करें,
हाँ, कोशिश पूरी की हमने पर हम फ़िर भी नाकाम हुए।।

(Full piece in the caption)

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1 JUN 2020 AT 15:32

डाकिया खो गए या डाक

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