आधी आधी ज़िंदगी गुज़ार देते हैं पढ़ते-पढ़ते
और सीखते क्या है !?
गुरुर, तकब्बुर और दूसरों को नीचा दिखाना!-
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आधी आधी ज़िंदगी गुज़ार देते हैं पढ़ते-पढ़ते
और सीखते क्या है !?
गुरुर, तकब्बुर और दूसरों को नीचा दिखाना!-
एक बुज़ुर्ग से किसी ने पूछा !
आज के समय में सच्ची इज्ज़त किसकी होती है ?
बुज़ुर्ग ने जवाब दिया :
इज्ज़त किसी इंसान की नहीं होती, ज़रूरत की होती हे ।
ज़रूरत ख़त्म तो इज्ज़त ख़त्म।।-
एक मै हूं जिसे कोई तवक्को है न उम्मीद
एक तुम हो लगाए हुए दिल सारे जहां से!!-
जब पढ़े लिखे लोग भी गलत बातों का समर्थन करने लगें तो यह समाज की सबसे बड़ी समस्या है।।
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अगर कोई इन्सान अपनी भूख मिटाने के लिए रोटी चोरी करे तो चोर के हाथ काटने की बजाए बादशाह के हाथ काटे जाए ।।
अमीरूल मु मिनीन हज़रत अली अल मुर्तजा़-
इन्सान कितना ही अमीर क्यों न बन जाए।
तकलीफ बेच नहीं सकता और सुकून खरीद नहीं सकता।।-
इंसाफ़ ज़ालिमों की हिमायत में जाएगा।
ये हाल है तो कोन अदालत में जाएगा।।-
किसी का भला ना हो सके तो बुरा करने की भी कोशिश मत करो,
दुनियां कमज़ोर है लेकिन दुनिया बनाने वाला नहीं।-
भरोसा करने वाले से ज़्यादा बेवकूफ भरोसा तोड़ने वाला होता है,
क्योंकि वो अपनी एक छोटी सी खुशी के लिए,
एक अच्छे इंसान को खो देता है।।-