Nainsi #Dumbgirl   (Nainsi #dumbgirl)
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Love to write✍🏻✍🏻
Joined 27 March 2021


Love to write✍🏻✍🏻
Joined 27 March 2021
4 SEP 2022 AT 9:08

वो कहता नहीं जिसे मरना होता है
साँस चलती रहती है उसकी
पर वो मर जाता है...
और कोई मातम भी नही मनाता
वस जश्न बनता है उसकी झूठी हसीं का
तब तकलीफ और भी ज्यादा होती है
ऐसी मौत की.....

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1 SEP 2022 AT 15:10

कभी तुम भी मिले हो क्या अपने आप से,शायद ,नहीं!
वरना पता होता perfect तो तुम भी नही हो ।

हाँ कमी है मुझ में , पर मुक्कमल तो तुम भी नहीं।

हम तो एक सिक्के के दो पहलू भी नहीं।
यू तो ना मैं तुम्हें जानती हूँ,
ना ही तुम मुझे,
फिर बेवजह बेमतलब की ये बात कैसी,
अजनबी हो अजनबी ही रहने दो ना।

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7 AUG 2022 AT 13:35


कहीं खो चुकी है वो
जिम्मेदारियों के बोझ तले,
कभी अच्छी बेटी, पत्नी, बहू , तो कभी अच्छी माँ बनने की कोशिश में
हाँ भूल चुकी है वो खुद के लिए जीना।

वो नासमझ सा बच्चा था
अब समझदार सा लगने लगा है,
जब जिम्मेदारी आई उस पर पूरे घर की
अच्छा बेटा ,पति और बाप बनने की कोशिश में
वो फिर खुद खुद के लिए जीना ही भूल चुका है।

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13 JUN 2022 AT 16:26

कितना आसान होता है ना
किसी और की situation पर commemt कर देना
बिना उसको जाने, बिना समझे,
हे ना .......

For no reasons
बस कह देना,
वो उसे कैसे और कितना hurt कर सकती है,
ये भी बिना सोचे समझे बस कह देना।


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13 MAY 2022 AT 19:08


"कितना अजीब है ना,
इस असीमित ब्रह्मांड में,
सिर्फ कुछ ही लोगों का तुम्हारा अपना होना,
बड़ी सी दुनिया मे इन छोटी सी खुशियों का होना,
उन सुख-दुख के साथी का होना।

पर उनका भी वस शायद कुछ वक़्त का साथ होना;
या फिर यू कहें के वस क्षणिक।"

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13 APR 2022 AT 12:31


क्यों बेवजह ही बस चाहत बढ़े जा रही है,
उनकी तरफ दिल की ये धड़कन खींची जा रही है,
पता नहीं दिल चाहता क्या है,
वो सपने है मेरे या मंजिल है,
जो भी है बस मुझ से मुझ में ही खोती जा रही है,
हाँ बेवजह मेरी चाहत बढ़ती जा रही है।

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10 APR 2022 AT 20:20

वो बहुत कुछ कहना चाहती थी हाँ बहुत कुछ,
वो चीख रही थी अंदर ही अंदर,
जिसे कोई सुन नहीं पा रहा था,
पता नहीं क्यों फिर भी वो कुछ कहना चाहती थी।

काश वक्त रहते कोई तो सुनता उसको,
क्योकि अब सुना तो चाहते है , कुछ लोग उसको,
पर अब वो ही कुछ नहीं चाहती किसी से।

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11 JAN 2022 AT 20:34

बेजुबान है उसके चीखते से शब्द,
वो लड़ रही है अंदर ही अंदर,
बाहर से मजबूत दिखने को,
हाँ! बेजुबान है उसके चीखते से शब्द।

अक्सर उससे ही सवाल होते
उसके बजूद की आजमाइश के लिए,
हाँ! फिर भी बेजुबान है उसके चीखते से शब्द।

उसे बढ़ने को लड़ना होता है,
उसे खुद के बजूद के लिए लड़ना होता है,
उसे खुद को संभालने के लिए लड़ना होता है,
हाँ! क्योंकि अब भी बेजुबान है उसके चीखते से शब्द।

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3 JAN 2022 AT 17:20

"मुझे भीड़ से कुछ अलग करने की, अलग दिखने की ख्वाहिश नहीं है,
ना मुझे किसी के जैसा बना है,
मैं तो वस खुद का एक बेहतर version बनना चाहती हूँ,
एक ऐसी जिंदगी जीने की ख्वाहिश है...
जिसके अंत में एक भी अधूरी चाहत ना हो-
तुम ये कर सकती थी, वो हो सकता था...."

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18 DEC 2021 AT 21:07

" ख्वाहिशें जो है बेहिसाब,
हर पल पीछे छूट रही है वो बार- बार,
हूँ वजह मैं ही या सबकुछ बेवजह,
है कैसी ये व्यथा । "



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