वक़्त बदलता रहता सर्दी गर्मी बरसात
उम्मीद में संघर्ष करते हैं बदलेंगे हालात
विफलता से नहीं छोड़ते उम्मीद का दामन
खुलेगा विजय द्वार,ग़म से मिलेगी निजात
मुश्किल परिस्थितियों में थामे रखतें हाथ
उम्मीद से बरकरार है खुशियों की सौगात
आँधी तूफानों में लड़खड़ाए क़दम,समझते
बसंत के आगमन के लिए गिरते पुराने पात
नित्य कर्म करते जीवन करने को साकार
भोर की उम्मीद से कटती घनी अंधेरी रात
प्रतिपल प्रकृति के कण-कण में हो बदलाव
धैर्य उम्मीद विश्वास से करते नयी शुरुआत
Naini
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ओति मैर पराण
बहुत बहुत धन्यवाद जी
प्रोफाइल में उपस्थिति दी
5oct.अवतरण दिवस
प्रकृति प्रेमी,यथार्थवादी रिश्तों का खेल
जीवन काअनुभव,शब्दों का तालमेल
कवियों सी अलंकृत नहीं कर पाती हूॅ॑
मन की अनुभूति शब्दों में पिरोती हूॅ॑
लिखने लगी मन के जज़्बातो को
YQ का पथ मिला अल्फाजों को
सधन्यवाद हौसला आफजाई का
मन का सुकून व कविताई का
Naini
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अक्सर बेअसर हो जातें हैं सारी कवायदें ।
बेख़ौफ़ चली आती जब चाहे आवारा यादें।-
आसाँ नहीं मुंतशिर रिश्तों को एक डोर में पिरोना।
दिल को तदवीर- ए- तहज़ीब से पड़ता है गुजरना।-
ये अदा हमारी जान ले लेगी है कातिलाना
बोलती निगाहों का अंदाज लगे शायराना
कजरारे नैनों से चलाती हो हाय! बिजलियाँ
वल्लाह ख़ूब है नज़ाकत बना दे आशिकाना
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इश्क़ का रुतबा जब छाता है इक ख़ुमार चढ़ जाता है
कायनात के ज़र्रे ज़र्रे से दिल में प्यार उतर आता है
रुह- ए -इबादत और रब की रहमतों का जलवा है
बेहतरीन उपहार है जो दिलों में इक़रार लाता है-
ख़्यायों में गुम -गश्ता रहता है ये दिल
मन में सजी रहती है यादों की महफ़िल-
सुकून के दो पल मिल जाए कभी
भटकते मन को राह दिख जाए कभी
कायनात के ज़र्रे ज़र्रे पर बिखरा है सुकून
चेहरे पर हँसी का कँवल खिल जाए कभी
माना है ज़िन्दगी में ग़मों की है भरमार
ख़ुशियाँ भी हजार दिल से देखा जाए कभी
रिमझिम फुहारों में बेजुबान के आँखों में
प्यार का खजाने को लुटाया जाए कभी
ढूँढ लो खुशियों के मोती बिखरे हैं जो
ख़ुद के मन भीतर से झाँका जाए कभी
Naini
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रुठे से जज़्बात पराई सी हर नज़र लगती है
तुम बिन कुछ नहीं बेगानी सी सहर लगती है
धड़कन हो मध्यम दिल में होने लगे तडपन
बिना तेरे कैसे हो ज़िन्दगी की गुज़र लगती है
बेताब सी फिरने लगती हैं बयार ये जहाँ की
हवाओं को मेरे भी दिल की खबर लगती है
भीड़ में तन्हाई,बातों में रुसवाइयों का सिला
ख़ूबसूरत अँखियों को बेरंग सी पहर लगती है
रहते हैं तेरे संग जो हम-दम खुशनुमा समा
खिली खिली कायनात की हर शजर लगती है
Naini
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