हर बात को दिल से लगाया जाए, ज़रूरी नहीं
हर रूठने वाले को मनाया जाए, ज़रूरी नहीं।
ऐसे तो बहुत शिकवे हैं तुमसे मगर
हर जख्म पर मलहम लगाया जाए, ज़रूरी नहीं।-
इक बहती नदी • चित्त चंचल • मन गहरा ❤
You can call me पहेली 💖
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Please don't forget to ta... read more
सदाक़त-ए-इश्क़
क्या लिखूँ ?
जो अल्फाज़ों में
बयान हो जाए।
वो चाह कर भी हमें
चाह न पाए
हम भुला कर भी उन्हें
भुला न पाए।।-
लहरें भी असमंजस मे है, किस मोड़ पर ठहरें
हर किनारे पर एक मुसाफ़िर इंतज़ार मे खड़ा है।-
रोज़ तेरा नाम मेरी दुआओं में रहता है।
तभी तू उस खुदा की पनाह में रहता है।।
ज़माना पूछता है राज़ इन कातिल निगाहों का।
ज़माने को खबर क्या, तू इन निगाहों में रहता है।।
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रूबरू होकर हमारे वो
कैसे मुँह छिपाए बैठे हैं।
हमने अपने को छोड़ दिया उनके ख़ातिर
और वो गैरों से दिल लगाए बैठे हैं।।
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ढूंढेंगे लोग मुझे मेरी ही शायरी में
मिलूंगी मै वहाँ जहाँ ठिकाना हो तेरा।
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रोज़ तेरा दीदार कर पाएें
इतने खुशनसीब हम कहाँ।
तेरे दीदार का इंतज़ार कर पाएें
इतने खुशनसीब वो कहाँ।।-
क्यूँ हिस्सों में मोहब्बत जताते हो
मेरे हो तो क्यूँ कहने से घबराते हो?-
उलझनें कम नहीं ज़िंदगी में मगर,
ज़ुल्फों को सुलझाना भी ज़रूरी है।
गम में डूबी है शाम मगर,
होंठों का मुस्कराना भी ज़रूरी है।।
वक्त का तो मिज़ाज ही है बदलना,
वक्त पर सम्भल जाना भी ज़रूरी है।
बहुत दिल लगा लिया गैरों से,
अब खुद से दिल लगाना भी ज़रूरी है।।-
रुहानी है इश्क़ मेरा
जिस्मानी ये मोहब्बत तो नहीं,
एक तरफा है तो एक तरफा ही सही
ख्वाब है ये कोई हकीकत तो नहीं।
ताबीर हो जाए ख्वाब मेरी जान
हर वक्त यही इंतज़ार रहता है,
गम में रहती हूँ मैं अगर
तू क्यूँ इतना परेशान रहता है।।
सिर्फ मेरा ही ये हाल है
या तू भी बेहाल रहता है,
क्या तुझे भी मेरी जान
इन दूरियों का मलाल रहता है।
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