न बन सको अगर मुस्कान किसी की
किसी के दिल का दर्द न बनना
हर दर्द का अंजाम ज़रूर होता है।
ज़मीं पर रिहा होने वाला
अक्सर ये भूल जाता है,
खुदा के दर पर हिसाब ज़रूर होता है।
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इक बहती नदी • चित्त चंचल • मन गहरा ❤
You can call me पहेली 💖
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Please don't forget to ta... read more
सदाक़त-ए-इश्क़
क्या लिखूँ ?
जो अल्फाज़ों में
बयान हो जाए।
वो चाह कर भी हमें
चाह न पाए
हम भुला कर भी उन्हें
भुला न पाए।।-
वक्त वक्त की बात है
जाने अनजाने कब बदल जाता है।
गलत हो तो वही हरीफ़ है
और सही हो तो वही मुरशिद बन जाता है।-
मैं महफिलों मे किस्से सुनाती गई और लोग सुनते गए
काश कोई दो पल ठहर कर मेरी खामोशी भी सुनता।-
लहरें भी असमंजस मे है, किस मोड़ पर ठहरें
हर किनारे पर एक मुसाफ़िर इंतज़ार मे खड़ा है।-
रोज़ तेरा नाम मेरी दुआओं में रहता है।
तभी तू उस खुदा की पनाह में रहता है।।
ज़माना पूछता है राज़ इन कातिल निगाहों का।
ज़माने को खबर क्या, तू इन निगाहों में रहता है।।
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रूबरू होकर हमारे वो
कैसे मुँह छिपाए बैठे हैं।
हमने अपने को छोड़ दिया उनके ख़ातिर
और वो गैरों से दिल लगाए बैठे हैं।।
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ढूंढेंगे लोग मुझे मेरी ही शायरी में
मिलूंगी मै वहाँ जहाँ ठिकाना हो तेरा।
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रोज़ तेरा दीदार कर पाएें
इतने खुशनसीब हम कहाँ।
तेरे दीदार का इंतज़ार कर पाएें
इतने खुशनसीब वो कहाँ।।-