कस्तो सम्बन्ध थियो कोनि तिम्रो र मेरो
साथ नभएपनि
चोटले सधै
तिम्रै यादमा पूराउँछ।।-
वो बाजार में
एक खिलोना था,
पसंद था
देखता रोज था
पर खरीदता नही था।
क्यू की उसे देखके
खुशी मिलती थी,
उसे अपना करने का
दिल में चाहत नही था।
एक दिन कोई आया
वो खिलौना खरीदके ले गया,
में मुरझा गया क्यू की
अब खुश होने की वजह नही था।
में बाजार फिर गया
देखा उसकी जगह
कोई नया खिलोना था,
में खुश था,क्यू की
वो पहले से बेहतर था।😊-
तिमीले मन्दिर टेकेर के मागेऊ थाहा छैन
तर मैले सधै तिम्रो खुशी मागे,
तिम्रो खुशी अरूको काधमा धल्किन्छ
मेरो खुशी बगाउन नसकेको आँशुमा झल्किन्छ☺️
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बात करने से सब ठीक हो जाएगा
ये वो कहा करते थे,
मुकदर में लिखा हुआ
कोई नही बदल सकता
ये कहके डरते थे।।
सुनो यादें यहां गिरवी रह गए
मेरा समय लोटा कर
अपना किस्सा ले जाना।
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चलो दर्द की बत्ती बुझाओ
आज रात तो अच्छे से सो जाओ,
कितने दिन हो गए
चलो आज तो मुस्कुराओ।।
गम हैं आंखे नम है
एक सीने में दर्द है,
बेटा हम गुजर चुके है इस गली से
यहां हर पन्ने में फरेब है।।
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Nikla ek suraj banke
Naya sawera chaya hai,
Rang udake khud ke sare
Mujhse khud ko rang ne aya hai...
Meri gali ka chand aaj
Kisi aur gali pe nikla hai,
Dur hai mujhse behad
Par mujh me uska saya hai......
Kashish me bandha huwa
Ek paheli me fasa huwa,
Nikla hai koi roshni me
Juda hai koi anhoni me...
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क्या समझाऊं थक गई हू
चुप हूं पर कुछ समझ गई हूं।।
जवाब समझाऊं या सवाल?
उलझे को सुलजाऊ
तो खुद उलझ के रेह जाऊ,
क्या मागु खुद से
अंधेरी रातों का खालीपन
या वो उजाला जिसे मे
मेहेसुस तो कर सकती हू,
पर देखू तो सिर्फ अंधेरा ही नजर आता है।।
हर रात कोई मेरे जिस्म से खेल जाता है
हेवानियत मिटाने को हर कोई
मेरे दामन में ही आ जाता है,
अगर कोई कहे तो मत मान लेना की
दो आत्माओ का मिलन ही प्यार है,
क्युकी इस तबायफ के कोठे में
रोज होता ये काम है।।
ना मेरी कोई पहेचान है
ना मुझसे बसता किसिका संसार है,
मेरा कोठा जगमग रेहेता,
जीवन में अंधकार है।।
तवायफ के कोठे मे बसता
हर एक का राज है।।
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हर पन्ने मे अटक जाओगे
तो आगे कैसे बड़ोगे?
सब तुम जैसा चाहो वैसा
पाने लगे तो इंसान कैसे बनोगे?
सिर्फ शिकायत करते रहोगे
या कभी खुद के अन्दर भी झाकोगे?
सवाल बहुत है जिंदगी मे
जवाब किस किस से मागोगे।
खराब लगे जवाना चाहे
तुम उस से परे तो नहीं हो,
अपने पहलू मे उलझा है हर कोई यहां
तुम उन सब से बाकित तो नहीं हो।।-
सन्नाटा था कुछ सुन
नहीं पा रहा था,
गूंज तो बहुत कुछ रहा था
पर मेरे अंदर दब रहा था।
क्या था? क्यों था?
सब बिखरा पड़ा था,
आहट तो किसी का
सुनाई दे रहा था,
पर अभी वो एक
टूटा हुआ खूवाब था।।
पास थे लम्हे
बची थी यादे,
गुजरा हुआ कल से
जुड़ी थी तेरी हर यादे।।
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