नैन ❣️   (नम्रता द्विवेदी 🖋 'नैन')
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Joined 11 September 2019


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31 JAN 2023 AT 17:57

कुछ सपने स्वाहा कल हुए हवन में,
सारी उम्मीदें बिखरी चलती पवन में,

जब काट परों को वे चिड़ियाँ से बोले,
अब उड़ जा बेटी इस उन्मुक्त गगन में।

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18 NOV 2022 AT 12:47

अंततः खिल जाती है
एक कली रेगिस्तान की
बंजर भूमि मे भी
बिना खाद, जल और बीज के,

इस अण्डाकार पृथ्वी पर
प्रेम के होने का
एक प्रमाण ये भी है,

प्रेम जटिल नहीं अपितु सरल है।

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28 OCT 2022 AT 14:42

स्त्री के दुःख
फूलों के जैसे होते है,

खिलना मुरझाना ही
उनका जीवन है..!!🌼❤

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27 OCT 2022 AT 15:49


विरह की कविताएँ
मन की पीड़ाओ का मौन है,

जो किसी से कहा न जा सका
उन्होंने कविताओं का रूप ले लिया।

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12 OCT 2022 AT 12:31

कमाई देखकर ब्याह देते है
लोग बेटियाँ आजकल,

सादा व्यवहार किसी को
जँचता नहीं है आजकल।

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10 OCT 2022 AT 15:15

तुम्हारे मौन से उदास हो जाती है
मेरी कविताएँ,
सुनो..!! तुम यूँ रूठा न करो हमसे।

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6 OCT 2022 AT 15:16

उसे न उड़ाओ कोई
श्रृंगार की चुनरी,

वो लड़की अपने दुपट्टे में
ज्यादा सुंदर लगती है।

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2 OCT 2022 AT 13:43

उन्हैं सुख मिले न मिले
मगर वो हमेशा
औरो को सुख देना जानती है,

यूँ ही नहीं स्त्रियों को
प्रकृति कह दिया है हमने।

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25 SEP 2022 AT 12:22

रेत, नदी, पहाड़,
सब बन चुकी है,
बेटियाँ
अब केवल आँगन की
तुलसी ही नहीं रही।

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23 SEP 2022 AT 15:01

वंशवाद की पुस्तक के
हर एक अध्याय मे
स्त्री वहाँ बुरी बन जाती है,

जहाँ वह.....
विरोधी है,
बाँझ है,
उन्मुक्त है,
क्रियाशील है,

इस पुस्तक मे
कानून, नियम, और कायदे
का बोझ उतारकर रख देने वाली
हर एक स्त्री बुरी ही है।

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