Nagendra Mishra   (NaaG)
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सत्य लिखता हूँ, वस्तुतः कड़वा लिखता हूँ।
Joined 30 May 2017


सत्य लिखता हूँ, वस्तुतः कड़वा लिखता हूँ।
Joined 30 May 2017
30 NOV 2022 AT 9:46

YOU.

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25 JAN 2022 AT 16:20

अदालत मुजरिमों के दे देती है, जमानत पल भर में
दर-दर भटकते रहते हैं कुछ बेगुनाह बेचारे।
अगर कोई ले बैठा रूप रौद्र का तो क्या अजीब हुआ
कब तलक भरोसे अदालत के भरते आह बेचारे।।

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24 JAN 2022 AT 17:11

यह भी इक किस्मत का फेरा है,"मेरी यादाश्त अच्छी है"
और वो कह गई मुझसे कि "मुझको भूल जाना तुम"

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30 SEP 2019 AT 9:23

अब मुझमें कहाँ वो पहले वाला जोश बाकी है
वो लौट आई है तो क्या उसके हिस्से में बस अफसोस बाकी है

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18 JUL 2019 AT 17:22

Debugging a million lines code
to find a missing semi-colon.

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16 JUL 2019 AT 19:14

बात बस इतनी सी थी कि तुम बिन कुछ अच्छा नहीं लगता था
बात अब इतनी बढ़ गई है कि जहाँ तुम नहीं होते वहाँ हमें अच्छा नहीं लगता

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16 JUL 2019 AT 19:12

बात बस इतनी सी थी कि तुम अच्छे लगते थे
बात अब इतनी बढ़ गई है कि तुम्हारे बिना कुछ अच्छा नहीं लगता

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16 JUL 2019 AT 19:06

वजह पूछोगे, उम्र गुजर जाएगी
कहा ना अच्छे लगते हो तो, बस लगते हो

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12 JUL 2019 AT 22:54

कुछ इस क़दर प्यार है मुझे उसके संदेशों से
उसके Typing.. को भी निहारता रहता हूँ।

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9 JUL 2019 AT 19:38

आजतक मेरा प्यार बयाँ न हो सका उनसे
हम मजबूर रह गए, वो मगरूर रह गए

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