Nadiya Ashrafi   (Nadiya Ashrafi)
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भीड़ तो भ्रम है,
सत्य तो एकांत ही रहेगा!!🤍
Joined 26 March 2020


भीड़ तो भ्रम है,
सत्य तो एकांत ही रहेगा!!🤍
Joined 26 March 2020
20 APR AT 19:46

हिंदी की सबसे दर्दनाक क्रिया
'जाना' नहीं 'लौटना 'है!!

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25 MAR AT 20:59


Wo to sawal puch kr aage nikl gya
atki hue hu Mai,
Magar uske sawal me

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1 MAR AT 10:57

Ye duniya Makafat-e-Amal hai
Yaha kisi ka sabar zaya nhi jaata

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27 FEB AT 20:24



नया इक रिश्ता पैदा क्यूं करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम

ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी
कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम

ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं
वफ़ादारी का दावा क्यूँ करें हम

वफ़ा, इख़्लास', कुर्बानी, मोहब्बत
अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ करें हम


हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम
तुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम

किया था अह जब लम्हों में हमने
तो सारी उम्र ईफ़ा क्यूँ करें हम

उठाकर क्यूँ न फेंकें सारी चीजें
फ़क़त' कमरों में टहला क्यूँ करें हम!!

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4 JAN AT 9:09

मैं जिस दरवाजे पे दस्तक दे भी न सकी
उसकी चाभियां कभी मलकियत थी मेरी!!

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26 DEC 2024 AT 23:00

Jo 21 Saal pehle mere kaan me di gayi thi,
us Azan ki Namaz ka Intezar hai Mujhe....

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26 NOV 2024 AT 18:59

आखिर कितने बरस लगते हैं

एक बरस से बाहर आने में..?

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21 NOV 2024 AT 22:25

कोई तुमसे पूछे

कौन हूँ में?

तुम कह देना कोई खास नहीं...

एक दोस्त है

पक्का कच्चा सा, एक झूठ है आधा सच्चा सा,

जज़्बात से ढका एक पर्दा है,
एक बहाना कोई अच्छा सा !
जीवन का ऐसा साथी है जो, पास होकर भी पास नहीं!

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं? तुम कह देना कोई खास नहीं...
एक साथी जो अनकही सी, कुछ बातें कह जाता है।
यादों में जिसका धुंधला सा, एक चेहरा ही रह जाता है।
यूं तो उसके ना होने का, मुझको कोई गम नहीं,
पर कभी-कभी वो आँखों से, आंसू बनके बह जाता है।
यूं रहता तो मेरे ज़हन में है, पर नजरों को उसकी तलाश नहीं,

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं? तुम कह देना कोई खास नहीं...

साथ बनकर जो रहता है, वो दर्द बाँटता जाता है,
भूलना तो चाहूँ
उसको पर, वो यादों में छा जाता है।
अकेला महसूस करूँ कभी जो, सपनो में आ जाता है।
मैं साथ खड़ा हूँ सदा तुम्हारे, कहकर साहस दे जाता है!
ऐसे ही रहता है साथ मेरे की,
उसकी मौजूदगी का आभास नहीं!

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं,
तुम कह देना कोई खास नहीं.....❤️

*गुलज़ार साहब

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17 MAY 2024 AT 18:10

जो रह गया मेरे हिस्से
वो सिर्फ तेरी यादें है!!

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5 APR 2024 AT 15:22



तेरे हाथ से मेरे हाथ तक
वो जो हाथ भर का था फासला
कई मौसमों में बदल गया
उसे नापते,उसे काटते
मेरा सारा वक्त निकल गया!!

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