Nadeem Shaikh   (©® शेख नदीम)
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Joined 14 July 2020


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Joined 14 July 2020
27 NOV 2022 AT 8:43

बुढे मां बाप से ही
बरकत है घरों मे,

ये खयाल भी बेटों को
अब पुराना लगता है..

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25 NOV 2022 AT 22:08

साहब एक दोस्त है मेरा,
मुझे भाई से बढकर लगता है..

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13 NOV 2022 AT 21:26

जख्म गहरे है,
वार सारे जिगर पे आये है,

खंजर चलाने वाला
कोई दोस्त लगता है...

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11 NOV 2022 AT 8:50

फुलों तुम्हारे महकने पर
मै कविता लिखता हूं,

तुम्हारे रोंधे जाने पर
मै कैसे चूप रह सकता हूं..

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11 NOV 2022 AT 8:47

साहब सुख़नवर के
गमों पर भी वाह मिलती है,

बिना दर्द के शेर
कहां शेर लगता है..

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8 NOV 2022 AT 18:37

तुम जिसे आमिर कहते हो
वो तो बहोत गरीब निकला,

उसके घर जितने फक़िर गये थे
सारे खाली हाथ लौट गये...

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23 JUL 2022 AT 10:26

दर्द कहो या दर्द की दवा कहो,

‘शेर’ पर मेरे तुम वाह तो कहो..

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18 JUN 2022 AT 15:19

थोडीसी हवा की
लहरें क्या चली..

उसकी नशीली जुल्फें
मशहूर हो गयी..

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8 MAY 2022 AT 11:51

कुठला हा मदर डे
लेकराने साजरं केलं ?

सेल्फीतच आईला फक्त
हसताना पाहिलं...

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6 MAY 2022 AT 14:31

उस घर मे अल्लाह का
वली कैसे न बनता ?

जिस घर मे मुसल्ला
मां के आंसुओ से तर होता..

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