Naaz Gul   (नाज़ गुल)
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Joined 19 February 2020


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Joined 19 February 2020
23 MAY AT 13:44

कुछ रेत से किस्सों में.. जिम्मेदार सा दिल
चाहे जो आए ..बिकता नहीं खुद्दार सा दिल

सब चांद तकते हैं ...झूठी सी बात निकली
घूंघट ओढ़े बैठा है.... गुलजार सा दिल

दर्द की डिबिया.. पल्लू में बांध लिया जब
तूफान से कह दो है ... करार सा दिल

लुढ़कती है... यादों की दुल्हन बाजुओं में
इधर उधर न देखो ...है बीमार सा दिल

इक रोज तुमको भी पकड़ लेगा इश्क नाज़
फिर क्या करोगी ये.. होशियार सा दिल .??

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28 APR AT 21:28



1.
मुझे ख़ामोश होना कभी लाज़िम न था,
मगर आज वक़्त गुज़रता है खामोशी में...

2.
सोचती हूँ — मत छोड़ना मुझे अकेला कभी, मेरे रहनुमा,
चोट खाई हुई हूँ, तेरे सिवा कोई नहीं पास मेरे।

3.
कुछ झलक छोड़ दे मेरे ख़्वाबों में अपना,
ताकि दिल को तसल्ली का एक आयत नसीब हो

4.
कोई आरज़ू बाकी नहीं,
सब तेरे दर पे सजदा गुज़ हुए हैं।

5.
पुकारती है दिल के लफ़्ज़ों का हर तिनका,
मेरे रब का सहारा क़रीब है मेरे...

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28 APR AT 21:24

1.
उतरते नहीं हैं ख़याल दिल के,
और उकेरते हैं कुछ लोग टीस,
बोझ आ जाता है कंधों पे...
2.
मुझे ख़ामोश होना कभी लाज़िम न था,
मगर आज वक़्त गुज़रता है खामोशी में...
3.
सोचती हूँ — मत छोड़ना मुझे अकेला कभी, मेरे रहनुमा,
चोट खाई हुई हूँ, तेरे सिवा कोई नहीं पास मेरे।
4.
कुछ झलक छोड़ दे मेरे ख़्वाबों में अपना,
ताकि दिल को तसल्ली का एक आयत नसीब हो।
5.
कोई आरज़ू बाकी नहीं,
सब तेरे दर पे सजदा गुज़ हुए हैं।
6.
पुकारती है दिल के लफ़्ज़ों का हर तिनका,
मेरे रब का सहारा क़रीब है मेरे...

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9 APR AT 14:41

बात लबों पे सजते कुछ
दिल के आंसू कहते कुछ
झूठ से तरन्नुम लिखते हैं
गम के मोती कहते कुछ
सजा के थाल परोस दिया
लोगों के आंचल कहते कुछ
धीमी सी हुई स्मृति तुम्हारी
यादों से धड़कन कहते कुछ
वह शायर है नए नवेले
ओढ़ पिटारी कहते कुछ
नाज़ तुम्हारे भीतर के
गीत सुनहरे कहते कुछ

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9 FEB AT 19:29



मोहब्बत के रंगों से रोशन था दिल,
वो चुप थे मगर हर इशारा हुआ।

जो देखा उन्हें, दिल सुकूँ पा गया,
उनके रूहों तक दिल सवारा हुआ

छोटी सी दुनिया लगे खुशनुमा
ठहरा ठहरा सा जन्नत प्यारा हुआ

ग़मों की घटाएँ भी छूकर गईं,
मगर हौसला फिर भी प्यारा हुआ।

ख़ुदा से दुआ में जो माँगा गया,
वही नाम लब पे दोबारा हुआ।

तुम उठा लो अब तरन्नुम सा दिल
इश्क़ सच्चा है "नाज़" तुम्हारा हुआ

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23 JAN AT 11:01

ठहर जरा सा दिल को पैगाम चाहिए
जाने कब से ठिठुरा है रफ्तार चाहिए

खिलखिला कर उठ रही है आरजू मेरी
दिल को भी बस इतना आराम चाहिए

मैं बस तेरा हूं... इसमें कोई शक नहीं
इतना काफी है या और दो चार चाहिए

किरायेदार तो नहीं हूं ..मैं तेरे मकान में
दिल का मारा हूं "नाज़" तेरा जहान चाहिए

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1 NOV 2024 AT 11:28

कुछ तो भरम रख लेते
कुछ ऊंचे से धरम रख लेते
सब कच्चा कसमें खाते हैं
कुछ तो शरम रख लेते
कुछ दर्द से रिश्ते पाले हैं
कुछ तो अलम रख लेते
जब रिश्ते नया बनाए हैं
कुछ जेब गरम रख लेते
सब हाल पता कर बैठे हैं
कुछ पहला कदम रख लेते
ये साल भी हर साल के जैसे
कुछ तो परम् रख लेते
जब बिखरा है रिश्तों की रेत
कुछ तो रहम रख लेते
क्यों खटक रहा दिल "नाज़ "
कुछ तो अजम रख लेते

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20 OCT 2024 AT 20:21

मीठी मीठी बातों में सौगात लेके आ गए
अपने प्यार का सबूत अखबार लेके आ गए

घर भर में पड़ी शोर ये क्या कर के आ गए
वो दहलीज पर मेरा महल बन के आ गए

एक तस्वीर बनी छुप के दिल में प्यार की
वो तस्वीर से निकल सशरीर बन के आ गए

साजन की सजनी.. सूखे होंठ लिए बैठी रही
आंखों में प्यार हाथों में मीठा जल लेके आ गए

सब प्यार का खेल है गजब शौक वाला "नाज "
सच कहूं तो तेरे लिए बादल नीर बन के आ गए

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19 OCT 2024 AT 18:52

हर किसी ने छेड़ा तेरा नाम लेते हुए
तुम्हें देखा था मैंने ख्वाबों में छुपते हुए

बचपन की मासूमियत थोड़ी नटखट थी
कई साल बाद देखा उम्र पे दिल ढलते हुए

एक साल तुम आए गूथा मेरे बालों की चोटी
मैंने पहली बार सुना मेरे दिल को धड़कते हुए

तेरे डांट को भी हंसी में लेकर भूल जाती थी मैं
कई रातों बाद चांद को देखा तुझमें चमकते हुए

तेरे एहसास को उगने में मेरे जिस्म को कई साल लगे
मैं खामोश रही.. उसके आने जाने तक हिचकते हुए

बहुत देर तक उस अठखेलियों में.. बहकती रही मैं
जब टूटा भरम उस खेल का मोतियों में दहकते हुए

वह ख्वाब में आके हथेली को थाम लेता है बार बार
टूटे वजूद में हर रात मेरी कटती है करवट बदलते हुए

सब बिखरे हैं इश्क में कोई यहां मुकम्मल नहीं" नाज़ "
तुम क्यों छिपी हो चिलमन तले टूटे इश्क में जलते हुए

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17 OCT 2024 AT 13:24

उनकी महफिल में जो जाऊं तो गज़ल हो जाए
चन्द लफ्जों को गुनगुनाऊं तो गज़ल हो जाए

धूप छांव सी जमीं भले तवारीख न मोड़ पाऊं
रुखसार से चिलमन जो हटाऊं तो गज़ल हो जाए

दर्द की कब्र है दिल के उरूज पर ख़बर नहीं तुम्हें
छुपे आंसुओं में जरा मुस्कुराऊं तो गज़ल हो जाए

एक लड़के ने मेरा ..सब इख्लास खाली कर दिया
लरज़ते होंठों से अशआर बनाऊं तो गज़ल हो जाए

सितम ये देख के खुद की निगाहें मुस्तहिक " नाज"
कल हमारा है कदमों के निशां बनाऊं तो गज़ल हो जाए

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