Naaz Gul   (नाज़ गुल)
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Joined 19 February 2020


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11 JUL AT 11:19

तेरा लफ़्ज़ गुलाब लगे,
तेरा लहजा मिठास लगे,
तेरे बिना सूरज निकले,
उजाला भी उदास लगे।

दरगाहों पे उड़ी चादर,
सजदों में रवाब लगे,
तेरी हँसी में वो असर है,
कि वीराने में चाँद लगें।

तू चहके तो दिन बने,
एक लम्हा भी ख़्वाब लगे,
होठों पे सब्र की लकीरें,
रूह चमके तो नाज़ लगे।

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5 JUL AT 20:32

सितारे... यहां से... वहां हो गए हैं,
क्यों उनकी नज़र से... खफा हो गए हैं।

जो देखा... उन्हें फिर... सितारों की जानिब,
दिल को लगा फिर... फिदा हो गए हैं।

यादों की बारिश... निकली कभी तो,
हमको लगा... कि जवां हो गए हैं।
🌙

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31 MAY AT 16:22

दिल में छिपे तस्वीरों की तहे खोलने लगी अचानक
हर दर्द, हर खामोशी को.... समझने लगी अचानक

जो कुछ नहीं समझते वही कहानियां बनाते अक्सर
कुछ चेहरे मुस्कुराते जहर पीकर सुनाने लगी अचानक

हर शक्ल को अब बस शक्ल की तरह ..देखती है निगाह
उनमें छिपी सिसकियां भी.. समझाने लगी अचानक

दिखते हैं साफ साफ मगर.. अंदर से हैं खोखले
बूढ़े चेहरों में छिपा वक्त..अल्फाज़ जगाने लगी अचानक

हंसी की आड़ में ..लफ्ज़ झूठ बोल जाते हैं अक्सर
दर्द छुपाते हैं दिल सीकर मैं चेहरे पढ़ने लगी अचानक

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26 MAY AT 13:57

चौपालों की चौपाई में
सावन की पुरवाई में
कंगना के कंगनाई में
सजना के अंगनाई में
सूरज के अंगड़ाई में
पछियों के कुंजाई में
अम्मी के परछाई में
अब्बू के सरजाई में
बहनों के रुमाई में
भैया के सच्चाई में
न काट समय रुसवाई में
संस्कार यहीं गहराई में

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23 MAY AT 13:44

कुछ रेत से किस्सों में.. जिम्मेदार सा दिल
चाहे जो आए ..बिकता नहीं खुद्दार सा दिल

सब चांद तकते हैं ...झूठी सी बात निकली
घूंघट ओढ़े बैठा है.... गुलजार सा दिल

दर्द की डिबिया.. पल्लू में बांध लिया जब
तूफान से कह दो है ... करार सा दिल

लुढ़कती है... यादों की दुल्हन बाजुओं में
इधर उधर न देखो ...है बीमार सा दिल

इक रोज तुमको भी पकड़ लेगा इश्क नाज़
फिर क्या करोगी ये.. होशियार सा दिल .??

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28 APR AT 21:28



1.
मुझे ख़ामोश होना कभी लाज़िम न था,
मगर आज वक़्त गुज़रता है खामोशी में...

2.
सोचती हूँ — मत छोड़ना मुझे अकेला कभी, मेरे रहनुमा,
चोट खाई हुई हूँ, तेरे सिवा कोई नहीं पास मेरे।

3.
कुछ झलक छोड़ दे मेरे ख़्वाबों में अपना,
ताकि दिल को तसल्ली का एक आयत नसीब हो

4.
कोई आरज़ू बाकी नहीं,
सब तेरे दर पे सजदा गुज़ हुए हैं।

5.
पुकारती है दिल के लफ़्ज़ों का हर तिनका,
मेरे रब का सहारा क़रीब है मेरे...

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28 APR AT 21:24

1.
उतरते नहीं हैं ख़याल दिल के,
और उकेरते हैं कुछ लोग टीस,
बोझ आ जाता है कंधों पे...
2.
मुझे ख़ामोश होना कभी लाज़िम न था,
मगर आज वक़्त गुज़रता है खामोशी में...
3.
सोचती हूँ — मत छोड़ना मुझे अकेला कभी, मेरे रहनुमा,
चोट खाई हुई हूँ, तेरे सिवा कोई नहीं पास मेरे।
4.
कुछ झलक छोड़ दे मेरे ख़्वाबों में अपना,
ताकि दिल को तसल्ली का एक आयत नसीब हो।
5.
कोई आरज़ू बाकी नहीं,
सब तेरे दर पे सजदा गुज़ हुए हैं।
6.
पुकारती है दिल के लफ़्ज़ों का हर तिनका,
मेरे रब का सहारा क़रीब है मेरे...

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9 APR AT 14:41

बात लबों पे सजते कुछ
दिल के आंसू कहते कुछ
झूठ से तरन्नुम लिखते हैं
गम के मोती कहते कुछ
सजा के थाल परोस दिया
लोगों के आंचल कहते कुछ
धीमी सी हुई स्मृति तुम्हारी
यादों से धड़कन कहते कुछ
वह शायर है नए नवेले
ओढ़ पिटारी कहते कुछ
नाज़ तुम्हारे भीतर के
गीत सुनहरे कहते कुछ

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9 FEB AT 19:29



मोहब्बत के रंगों से रोशन था दिल,
वो चुप थे मगर हर इशारा हुआ।

जो देखा उन्हें, दिल सुकूँ पा गया,
उनके रूहों तक दिल सवारा हुआ

छोटी सी दुनिया लगे खुशनुमा
ठहरा ठहरा सा जन्नत प्यारा हुआ

ग़मों की घटाएँ भी छूकर गईं,
मगर हौसला फिर भी प्यारा हुआ।

ख़ुदा से दुआ में जो माँगा गया,
वही नाम लब पे दोबारा हुआ।

तुम उठा लो अब तरन्नुम सा दिल
इश्क़ सच्चा है "नाज़" तुम्हारा हुआ

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23 JAN AT 11:01

ठहर जरा सा दिल को पैगाम चाहिए
जाने कब से ठिठुरा है रफ्तार चाहिए

खिलखिला कर उठ रही है आरजू मेरी
दिल को भी बस इतना आराम चाहिए

मैं बस तेरा हूं... इसमें कोई शक नहीं
इतना काफी है या और दो चार चाहिए

किरायेदार तो नहीं हूं ..मैं तेरे मकान में
दिल का मारा हूं "नाज़" तेरा जहान चाहिए

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