Naaz Gul   (नाज़ गुल)
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Joined 19 February 2020


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Joined 19 February 2020
9 FEB AT 18:27

ईश्क की चौखट पे सरमाई सी ईश्क
थोड़ी सी अल्हड़ है पुरवाई सी ईश्क

न होश है उन्हें न चैन है.. मेरे दिल को
लापरवाह गुजरती है तन्हाई सी ईश्क

इशारे अब भी है उसके आंखों के इर्द गिर्द
बात होंठों पे रुकी है... लजाई सी ईश्क

कुछ ना समझ सी उम्मीदें... उसकी तलाश में है
"नाज़"ये..आंधियां उड़ा देती हैं रौशनाई सी ईश्क

ईश्क के मिठास में पहले सा वो बात नहीं
अब करवटें बदलती है बेवफाई सी ईश्क

कुछ फिगार से लोग आ मेरा घर जला गए
फिर भी दुआएं देती है हरजाई सी ईश्क

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14 DEC 2023 AT 12:59

खीझ रही सत्ता की कुर्सी हे धरा तेरा कृतिकार नहीं
आग उठी है दिल्ली में हे गणतंत्र तेरा बहिस्कार नहीं

सुख चैन की मिलती अगर... उनको घर की रोटी भात
सच कहती हूं ये वही आग है उनका कोई प्रतिकार नहीं

पैसे की मार पड़ी जब ..रोजगार यहां बीमार पड़ी जब
कूद पड़े वह लोभी बन ...है उनका ये अतिचार नहीं

भरी भीड़ में कूट रहे थे ...मिल कर दिग्गज संप्रभु उन्हें
बेरोजगारी की मार गिरी थी भई... क्या ये अभिचार नहीं

नव भारत के ये जन युवा शक्ति.. करते हैं आह्वान
क्या संसद सिर्फ तेरा है अपना कुछ अधिकार नहीं

होता नहीं अत्याचार यहां.. गर खुद को पहचान ले तो
बढ़ रही नफरती आग "नाज़" अपना कुछ चिन्हार नहीं

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13 DEC 2023 AT 18:44

कोई गिराने कोई उठाने तो कोई मनाने में ठीक
कोई इधर तो कोई उधर ......लगाने में ठीक

देखता है दिन भर रास्ता... वह खाली हाथ
कोई खोकर तो कोई पाकर.... निभाने में ठीक

क्या खूब हुनर.. लेकर वह मचलता है दिनभर
कोई खिलाड़ी तो कोई अनाड़ी...बहलाने में ठीक

जब चलता है रुककर ...जिंदगी की गाड़ी यहां
कोई डॉक्टर तो कोई कंडक्टर ....चलाने में ठीक

टूटता है जो ख्वाबों का ..आशियाना कभी अगर
कोई बिल्डर तो कोई इंजीनियर...बनाने में ठीक

दुखता है मन.. कल्पनाओं का छांव नही कही
कोई छोटा तो कोई बड़ा फिर भी कहलाने में ठीक

एक हुनर सबको मिला है यहां... जिंदगी में नाज़
कोई जाहिल तो कोई अंतर्मुखी बरगलाने में ठीक..............।।

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12 DEC 2023 AT 13:20


लोगों को मेरे दर्द का पता कुछ भी नहीं
ज़ख्म हजारों हैं और खता कुछ भी नहीं

पढ़ न सकोगे ..मेरे दिल की किताब तुम
सारे पेपर भरे पड़े हैं लिखा कुछ भी नहीं

इक सजा के मानिंद जी रही हूं जिंदगी नाज़
जब रूह हो खफा.. तो कजा कुछ भी नहीं

ख्वाहिशों की तराजू में है ख्वाब कोसो दूर
तकदीर से रूठी हूं मैं.. दुआ कुछ भी नहीं

इस हँसी के पीछे लाखों दर्द छुपा रखा है
दर्द भरी मुस्कान का ...दवा कुछ भी नहीं

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11 DEC 2023 AT 11:12

रात्रि स्याही में वजूद मेरा रक्स रहता है
टूटी फूटी ईंटों में... मेरा नक्स रहता है

बुलाती है दीवारों की धुंधली चादर मुझे
उस सहमे मकान में..मेरा अक्स रहता है

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10 DEC 2023 AT 14:37

मुझसे हुस्न की ...गहराईयां कहती हैं
ये फासले क्यूं हैं..अगनाइयां कहती हैं

भेज दे फिर से हमें ...उनके दरमियां
ख़ामोश बैठी हुई..तन्हाइयां कहती हैं

ढूँढते हो मुझसे बेहतर...हम न बोलेंगे
दिल खोलकर अब रुसवाईयां कहती हैं

इंतजार है उसका तो आने दो नौबहार
प्यार से दिल की पुरवाइयाँ कहती हैं

मुझे ढूंढने में लगा है खुद आइना मेरा
हटा दो क़फ़स को परछाइयां कहती हैं

बड़ी मुश्किल से मिलती है नर्म हाथो की रोटियां
न खेलो अब सियासत... महंगाईयां कहती हैं

दूर रखें मुझसे ये ..सुर्खियां लज्जत नहीं इनमें
हाथ जोड़कर अब उनकी सुनवाइयां कहती हैं

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7 DEC 2023 AT 18:52

जरा इश्क हवा में बहने दो ...बातिल न बनाओ
मुझको ...मैं... ही रहने दो... कातिल न बनाओ

ज़ख्म जो दिए तूने ... हर पन्ना बिछा के रक्खा है
मुझको ...जुर्म तेरा पढ़ने दो ..जाहिल न बनाओ

क़फ़स में कैद रहे.. मेरी जिंदगी क्यों ....अब भी
मुझको... कल्ब ज़रर करने दो आदिल न बनाओ

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6 DEC 2023 AT 19:11

सियासत में माननीय का.. घमासान तेज है
जांच सब निषिद्ध है ...यहां गुणगान तेज है

कहावतों का जोर है.. करते मन की चौकसी
गरीब सब नष्ट भ्रष्ट हैं ...यहां गूढ़ ज्ञान तेज है

हिज्र मनाकर रोती अब तो घर की रोटी दाल
अधिपति का राज है ....यहां निपटान तेज है

भाईचारा बर्तन जैसे... हर राह पे टूटे फूटे हैं
बदसूरत महंगाई है ....यहां आयुष्मान तेज है

मंगल सब जंगल "नाज़" ये वक्त वक्त की बात
मुंहबोलों का सौगात है...यहां अपमान तेज है

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5 DEC 2023 AT 19:54

बिखरा बिखरा वजूद है कि तेरे इश्क की जेबाई हूं मैं
जान गई हूं सब भेद दिल कि तेरे धूप की परछाई हूं मैं

बाज आ कश्ती के मुसाफिर तेरे राह की रौशनाई हूं मैं
प्यास है आंखों में कि झूमते हुए दिल की गहराई हूं मैं

दिल गहरा या समंदर कि तेरे लहरों की शनासाई हूं मैं
छुपा लूंगी हर गम अपना कि तेरे दर्द की आशनाई हूं मैं

पुकारती है मंजिले ठहर जा कि तेरे रूह की फिदाई हूं मैं
तुझे पाने की ख्वाहिश है नाज़ कि वस्ल की पजीराई हूं मैं

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4 DEC 2023 AT 14:51


जाति,वर्ग,वादा ,शपथ जाने कितने वर्गों में बांटा
कोई टिप्पणी नहीं कीजिए... हम भी वाचाल हैं

भाषण,धर्मोपदेश, प्रवचन.. इसकी जरूरत नहीं
कोई भेदभाव नहीं कीजिए... हम भी छंद ताल हैं

करती हैं अय्याशियां सरकारें हम बेहिस हैं क्या
कोई चुनाव नहीं कीजिए... हम भी हड़ताल हैं

दम भर रही व्यवस्था... रीति ,नियम ,अनुशासन
कोई विनाश नहीं कीजिए ..हम भी कोतवाल हैं

विश्वासघात,चुगलीबाज, हैं मनभावन अधिपति
कोई पक्षपात नहीं कीजिए.. हम भी भूचाल हैं

शिक्षा,कला,ज्ञान,विज्ञान है अक्षम कहां रोजगार
कोई लोकवाद नहीं कीजिए..हम भी विशाल हैं

घमंड,अहंकार,लालसा,मुक्ति.. सब "मन का फेर "
कोई उपकार नहीं कीजिए ...हम भी टकसाल हैं

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