अच्छा तुम भी इश्क़ करते हो
क्यो अपनी ज़िंदगी बरबाद करते हो
बहुत छोटी सी है ज़िंदगी तुम्हरी
फिर क्यो अपना वक़्त बरबाद करते हो-
क्या होती है मोहब्बत
कुछ पल की खुशी या
फिर ज़िंदगी भर का गम
ना आप समझ पाये ना हम-
अपने हक से कम नही, और
किसी के हक का मांगा नही
जब उसे मुझसे मोहब्बत हि नही
तो उसे जाने से रोका भी नही-
छोड़ो बातो को गहराईए जाकर तुम्हे क्या मिल जायेगा
जो तुम्हे छोड़ कर हि चला गया
उसका इंतिजार कर के तुम्हे क्या मिल जायेगा-
जो खुद तकलीफ मे है
उसे अपनी तकलीफे
क्यो बाताऊ
उसके दर्द को और
क्यो बढ़ाऊ...
मेरे तो दुख हरने वाले
महाकाल है
उनके दर के शिवा और
कही क्यो जाऊ...
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वक़्त बीत रहा है उम्र ढल रही है
ए ज़िंदगी इतना हसीन बन जा
वक़्त भी तुझे देख कर रुक जाए-
सूरत खूबसूरत जिसने देखा उसने भी क्या देखा रे..
ये शरीर तो माटी का एक दिन माटी मे मिलना रे....
जिसका मन सुंदर वो सबसे सुंदर
ये शरीर तो कुछ दिन का मेला रे..
सूरत खूब सूरत जिसने देखा उसने भी क्या देखा रे...-
मैं हुँ हि क्या जो मर्ज़ी मेरी
सब तो उसका है जिसने मुझे बनाया
ये ज़िंदगी अब उसी के नाम
आप अपना देख लो मेरे तो है महाकाल-
जाने क्यो इस तरह मै टूट जाता हूँ
जो दिल के करीब होते है
अक्सर उनसे हि बिछड़ जाता हूँ-
कभी इसकी खबर लेते हो
कभी उसकी खबर लेते हो
क्यों जो चल गया छोड़ कर
उनकी खबर लेते हो
कभी तो खबर लिया करो हमारी
जो फिकर करते है तुम्हारी-