मैं एक उमर को तजुर्बे की नज़र कर आई हूंँ
मेरे बाद जो पढ़े मुझको तो फिर उमर को जीकर गुज़ारे।-
जो ना समझ सके ,उसके लिए बात है...
जो समझ सके ,उसके लिए जज़्बात है.... read more
किसी कि सुन रहे हैं,
किसी को सुना रहे हैं,
किसीको सुनना चाहते हैं।
लेकिन वो क्या रह गया....
जो कहना तुमको था शायद...?-
ये तल्ख़ है लेकिन हक़िक़त है, एक औरत को उसके शरीर की बनावट से आगे कभी समझा ही नहीं गया। वो किसी भी रिश्ते में, किसी भी रूप में क्यूँ ना हो? उसे हर बार इस इम्तिहान से गुजरना पड़ता ही है। रूप-रंग बनाव-सिंगार बेशक़ औरत के लिए है लेकिन फिर भी उन सब से परे एक एहसास भी है कि उसे भी कभी महसूस किया जाए, उसकी तक़लीफ को भी कभी तक़लीफ समझा जाए। अफ़सोस सख़्त अफ़सोस है मुझे इस बात पर कि तरक्की की सीढ़ी चढ़ता हुआ मर्द कभी भी एक औरत के दिल की गहराई में छुपे इस अनछुए एहसास तक ना पहुँच सका।
- निश़ात सैय्यद✍🏻-
मेरे और तेरे दरमियां इतना फासला रह गया...
हम दोनो पास थे हमारे बीच ज़माना रह गया...-
ये क्या कि ख़ुद पर हंस पड़े हैं हम
वो जो आंखे थी अश्क़बार कमबख़्त सब भूल गई...-
बड़े बेढंग से है ये उबड़-खाबड़ रास्ते
ज़िंदगी से_______ इनको भी तजुर्बे बड़े मिले हैं शायद...-
भीड़ में शामिल होकर भेड़ 🐏 बनने से कहीं बेहतर है तन्हाई का ताज 👑 पहनना...
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वक्त बदला, दौर बदला, हां बदल गया है सब कुछ...
पास मेरे बस यादें हैं, बाकी़ बदल गया हैं सब कुछ...-
महँगे-महँगे तोहफे नहीं, कुछ कलाइयाँ काँच की चूड़ियों से भी मेहरूम रहती हैं...
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