N... Sayyed✍   (N...sayyed✍)
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Joined 4 November 2020


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16 SEP AT 7:59

लफ़्ज़ों के पुलिंदे छोड़ो तुम मुझको आज ख़ामोश रहने दो
ऑंखों की कहानी को समझ लो होठों को खामोश रहने दो

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14 SEP AT 17:02

मुझे लगता है कि मेरा ख्याल रखने को तुम काफी हो
मैं खुदको क्या तोहफा दूं मेरे लिए बस तुम काफी हो

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5 SEP AT 14:24

डूबती कुश्ती को क'नारा तो दे दो

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5 SEP AT 14:21

सब तयशुदा वक़्त पे होना है
अचानक कुछ नहीं होता...
ये जो मुझसे बदज़न हुए हो
ऐसे तो कोई नहीं होता...
ख़फा़ बेशक़ रहो तुमको ये
इजाज़त भी दी है मैंने;
लेकिन किनारा ख़ुद से करो
ऐसे तो कोई नहीं होता...

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31 AUG AT 19:18

दिल एक नाज़ुक गो़शा है
मरम्मत को इसकी तेरा बस तेरा ज़िक्र चाहिए।।

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29 AUG AT 22:06

चश्म-ए-पूरनम चाहती है दीद ओ यारा
नसीब में लिखी है तेरी हिजरत ओ यारा

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28 AUG AT 22:55

कैसी साज़िश कौ़म के नाम पे चल रही है...
एक रंजिश है जो दरमियान में पल रही है...
बड़े सलाहकार बताए ये क्या हैं? क्यूं है?
जो मज़हब की बू को बदबूदार कर रही है...
आखि़र कब तक ये राग अलापा जाएगा
कोई तो दाल है जो यहां नहीं गल रही है...
मुद्दा पेट का है दो वक़्ती रोटी का है बस
और मख़लूक़ तो बेमतलब ही मर रही है...

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28 AUG AT 8:51

एक कप चाय

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22 NOV 2024 AT 1:05

मैं एक उमर को तजुर्बे की नज़र कर आई हूंँ
मेरे बाद जो पढ़े मुझको तो फिर उमर को जीकर गुज़ारे।

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19 OCT 2024 AT 0:15

किसी कि सुन रहे हैं,
किसी को सुना रहे हैं,
किसीको सुनना चाहते हैं।

लेकिन वो क्या रह गया....
जो कहना तुमको था शायद...?

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