N. Rathod   (Nirmalsingh Rathod)
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Joined 17 September 2024


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Joined 17 September 2024
8 SEP AT 22:43

मत देखो मुझे अपनी ज़हरीली आंखों से,
हक नहीं हैं हर किसी को उसे ताकने का।

दूर रहो मुझसे न छूना मुझे तुम ज़रा भी,
हक नहीं हर एक को सीने से लगने का।

नहीं चाहिए मुझे चाहत तुम सब की,
हक नहीं हैं तुमको मेरा हाथ थामने का।

तुम ज़रा भी काबिल नहीं उसके सामने,
शिद्दत से मेरी दिल की डोर थामी हैं जिसने।

न बनना मुझे चहीता रखो मुझे आशातीत,
नहीं मिलना तुम सबको रखो मुझे अपरिचित।

नहीं चाहिए मुझसे तुम सबकी दीवानगी,
बस मुझे वो चाहिए जो हैं मेरी दीवानी।

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7 SEP AT 16:29

हे प्रिय तू धड़कन मेरी तुझसे भला कैसे रूठ जाऊ?
जो हो घर्षण हम बीच कभी भी तो हमेशा हार जाऊ।

पागल नहीं मैं जो सिर्फ तुमको चुनूं पूरी दुनिया छोड़ के,
जिंदगी बीते मिले तुम आज कैसे जो खुदको ही छोड़ दे?

मेरा हर कण नीलाम करदू सिर्फ तेरी खुशी के वास्ते,
हो फूल, पत्थर या अंगारे तेरे लिए चलूंगा मैं हर रास्ते।

अहंकार जरा भी नहीं हैं कभी भी हम दोनों के भीतर में,
बस तुम्हारे संदेश का इंतज़ार में खड़ा मैं समय चक्र में।

कभी फरियाद नहीं हैं तुझसे की तुम मेरा ही अंश हो,
में तो ठहरा अधूरा और सिर्फ तुम बनाते मुझे संपूर्ण हो।

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5 SEP AT 20:48

मैं हूं न तुम्हारे लिए, तुम ज़रा भी चिंता न करना,
थामना मेरा हाथ दिलसे तुम ज़रा भी न ठहरना।

हम आपका इंतजार करते हैं मन में बड़ी खुशी से,
जानेमन संबंध बना हैं हमारा दिल की कड़ी से।

विश्वास रखना जब शिव खुद हो हमारे साथ में,
सब अच्छा होगा आंखों के सामने पलकाहट में।

चारों कोर खुशियां ही खुशियां होंगी हमारे जीवन में,
दिल भर जाता हैं मेरा जब तुम कहते की केवल मैं।

थोड़ा मुस्कुराओ की आयेंगे अब सारे दिन हमारे,
सबको छोड़ दिए हम कोई न चाहिए सिवाय तुम्हारे।

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26 AUG AT 22:29

शायद मनना नहीं आता मुझे लेकिन कोशिश करता हूं,
दूर से भी तेरी छोटी छोटी यादों से दिन मेरा भरता हूं।

शायद जताना नहीं आता लेकिन कोशिश करता हूं,
मेरा दिल लगा तुमसे तुम्हारे लिए हर बाज़ी मैं हारता हूं।

शायद बोलना नहीं आता मुझे लेकिन कोशिश करता हूं,
जुबां अटक जाती तो मेरी कलम से वफादारी निभाता हूं।

शायद मुझे परखना नहीं आता लेकिन कोशिश करता हूं,
तुम हमेशा जो भी हालत में मुझे मिले कुबूल करता हूं।

शायद बात रखना नहीं आता लेकिन कोशिश करता हूं,
तुम मुझे ठहरने कहना और मैं इंतजार करके दिखाता हूं।

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24 AUG AT 23:53

कोई गम की घड़ी नहीं मेरे जीवन में,
हुए दर्शन जब से तेरे हैं मेरे जानेमन।

आंख बंद करूं तो सिर्फ तू ही मेरे दिल में,
तेरी यादों से खिल उठे मेरा तनोमन।

हो ठंड कितनी भी तेरे गले लगते पिघल जाता हूं,
तेरा दीवाना हु दुनिया से छुपा के तुझे जताता हूं।

कभी सोचूं कही मेरी ही नजर न लग जाए तुझे,
लेकिन कला टीका तो भगवान दिए दाएं गाल पे तेरे।

तेरे सीने की गर्माहट से ही जो मिले चैन मुझे,
कसम से सोलह श्रृंगार न जरूरी कभी तेरे चेहरे।

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24 AUG AT 14:04

थोड़ी देर मुझे लगी तुम्हारे शब्दों को समझने में,
की शब्द किसी उलझनभरे के हैं और जरिया तुम थे।
इत्तेफाक न था कभी हमारा मिलना इस ज़माने में,
लगता थे अजनबी लेकिन पिछले जन्म भी तुम थे।

दबाव में हो तुम भले लाख बार शब्द भेद दे सीना,
मेरे दिलने सुनी निशब्द बाते वो दिल तुम्हारा था।
लालसा नहीं तेरी माया की तेरी आत्मा संग हैं जीना,
मेरे बिन बोले भी मुझको थामा वो हाथ तुम्हारा था।

तुम्हारा दिल मासूम निस्वार्थ हम उसे कभी न तोड़ेंगे,
भरोसा रखना हैं वचन शिवसे वफ़ा तुमसे न छोड़ेंगे।
ज़रा भी डरना मत तुम हर घोर वर्षा के बाद धूप हैं,
नहीं हैं हम अलग बस एक आत्मा के दो स्वरूप हैं।

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23 AUG AT 22:14

हमेशा लगता भीतर से पहचानते तुमको सालों से कोई इत्तेफाक न था,
मेरी पहचान तुमसे काफी जन्मों की हैं समय सीमित महीनों का न था।
रहता हैं इंतेज़ार तेरी मुलाकात का,
भूलें कैसे जो तु मेरी हर सांस हैं।
धड़कता हैं दिल मेरा तेरे नाम का,
लेकिन तेरा स्पर्श उसकी आवाज़ हैं।

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21 AUG AT 12:27

कहे माता-पिता की करे तू इंतज़ार मिलन का,
भुज रहा दीपक तेरे आस में हमारे जीवन का।
मानी तेरी हर बात हमने भूल कर ज़माने को,
कोई तो हो घर की रौनक हमे खिलखिलाने को।

कहा में विश्वास हैं मुझे उसकी भावना पे हैं
होगा दबाव उसपे पर गलत कभी वो नहीं हैं।
हुआ होगा मन उसका भ्रमित बेवफा वो नहीं,
वचन तोड़ किसी और का हाथ थामले वो मैं नहीं।

गुमराह करती दुनिया और अपने सब ठहरे सुनाने,
खुशियां छीन के बंदी बनाने देते होंगे कितने ताने।
निशब्द होके देखे मुझे उसकी मासूम आँखें,
चुप्पी बनाए बैठना पता न कहां से वो सीखे?

मां नहीं लालसा मुझे रूप न भूख शरीर की,
संबंध मेरा जन्मों से शर्त हाथों के लकीर की।
इतिहास गवा ये संघर्ष हो चाहे शिव या पार्वती,
हमेशा अपनाऊंगा दिलसे जो हो उसकी सम्मति।

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20 AUG AT 23:11

हां हूं मैं पागल सिर्फ तेरा दीवाना,
न देखूं कौनसा दिन न देखूं ज़माना।
एक तू ही समझदार मेरे जीवन में,
सब हीरा छोड़ गए सोने की चाह में।
न शर्म आती मुझे तेरा हाथ थाम के,
बीत रहे दिन जीवन इम्तिहान के।
हर कीमत दे दूं तेरी मुस्कान वास्ते,
सिर्फ तेरी तरफ मुड़े मेरे सारे रास्ते।
हर लम्हा आज भी ताज़ा मुझे याद हैं,
एक मैं ही पागल तेरा तू मेरा चांद हैं।
डरो न ज़माने से सर मेरे सीने पे रखो,
कहे सब मैं दीवाना मेरे मुंह न लगो।

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14 AUG AT 19:07

तेरा शर्मा के मुस्कुराना कुछ इस तरह बहलाता हैं,
जैसे बंजर रेत में बिना बहार फूल खिल जाता हैं।

तेरी आंखों की जगमगाहट की बात क्या करे,
जो बंदगी हैं तुमसे देवी हम फरियाद क्या करे?

बड़ा गर्व होता हैं जब तुम मुंह छुपते मेरे सिने में,
कभी इतनी खुशी न हुई मुझे बेवजह जीने में।

में कहूं तुम मेरा चांद बोले वे चांद पे धब्बे हैं बड़े बड़े,
जो स्पर्श हो तेरी चांदनी का तो नशा तेरा सर पे चढ़े।

चाहत सिर्फ तुम नहीं तुम्हारी परछाई से भी हैं,
जो कुबूल हो तुम तो कुबूल तुम्हारी बुराई भी हैं।

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