ख्वाइशें मेरी भी हजारों हैं,
तुम मिलो तो जरा ज़िक्र करें.....!
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इश्क़ में एक ही गलती मैं बार- बार करता हूँ,
सराखों पर बिठा लेता हूँ जिससे प्यार करता हूँ......!
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लेकर तुम्हारी यादों का बोझा,
चल पड़े हम जिंदगी के बसेरों में
रहते हैं हरपल, उन्हीं यादों के घेरों में....
भूल गए हैं अंतर, संध्या और सवेरों में
बस पड़े हुए हैं हम उन्हीं यादों के ढेरों में...
लेकर तुम्हारी यादों का बोझा,
चल पड़े हम जिंदगी के बसेरों में.......!— % &-
जिस कदर ए जिंदगी ले रही तू इंतहां मेरा,
लगता है अगला टारगेट मौत ही होगा....!
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मैं खुद उलझा हूँ अपनी कहानी में,,,
मैं कहाँ किसी के किस्से का किरदार बनूँ.......!— % &-
हजारो रँग लगे थे मुझमें,
फिर भी रंग हीन था मैं,
इक तेरे रंग लगाने से ही,
रंगोलीन हो गया मैं.....!
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मैं उसको क्या Propose करूं,
जिससे ही मेरा रोज है,
वो माँ ही मेरी काफी है,
मुझे और किसी की ना खोज है....!-
मेरा गुलाब उसने संभाल कर तो रखा होगा,
मेरी यादों ने अंदर ही अंदर बवाल कर तो रखा होगा,
इंतज़ार उसे भी रहा होगा मेरे मैसेज का,
पर सोहर के इंतज़ार में खुद को सँवार कर तो रखा होगा.....!-
मैं बारिश की बूँदें बन कर कण-कण तुम पर बिखर जाऊं,
तुम एक बार हाँ जो करदो मैं तो खुद ही मर जाऊं,
खुद से कोशिश है जारी तुम जो दे दो साथ मेरा तो,
इश्क़ मुक्कम्मल कर जाऊं......!
मैं बारिश की बूँदें बन कर कण-कण तुम पर बिखर जाऊं.....!
ना हो मुकम्मल इश्क़ मेरा तो, मैं कुछ ऐसा कर जाऊं,
बिखरा हुआ दामन समेट कर तेरा, क्यों ना मैं ही मर जाऊँ,
ये सब बेरुखी बातें है,
अगर तुम जो दे दो साथ मेरा तो,
मैं इश्क़ मुकम्मल कर जाऊं,
इश्क़ मुकम्मल कर जाऊँ.....!
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