कल तक जो लगता था चांद पूनम का,
आज अमावस्या सा क्यों लगने लगा है।
दिल मे उठता था तरंग कभी,
आज तूफान सा क्यों उठने लगा है।
कल तक जो लगता था साथ महफ़िल सा,
आज मंजर तबाही का क्यू छाने लगा है।
अब शायद दूरिया ही इतनी हुई है,
के खैरियत पूछने पर भी अब उनकी खुदगर्जी दिखाई देती है।-
बात जो दिलमे है शायाद थोडी जुबा... read more
रकीब के आतेही हम दूर हो गये,
कही बेजान जुबान से निकाली गाली तो नही।
चांद अभीतक दिखा नही,
कही चांदनी चकोर को भुली तो नही।
आग तो सिनेमे लागी है जनाब,
कही ज्योती अंदर ही अंदर जली तो नही...-
आजकल कुछ भी अच्छा नही लागता
प्यार लागताथा मुझे पर अब सच्चा नही लगता।
कितने वक्त रुठे रहोगे यार, अब बस माफ करो
क्यूकी रुठा हुआ चांद अच्छा नही लगता।।-
हमारे लिये तो हर दिन Mother's day,
सुबह call ना आये तो Mother's day
Office पोहोचके call ना करू तो
Mother's day,
Office से निकलते वक्त ना बताऊ तो Mother's day,
घर पोहोचके call ना करू तो Mother's day,
रात को बात ना हुई तो Mother's day,
और दिन भर call ना की तो...
Mother's week.-
पता है लोग प्यार मैं चांद की मिसाले क्यू देते है.
दाग है कई, कोई खूबसुरत जुल्फे नही,
सुरली आवाज हो उसकी तो वोह बोलता भी तो नही,
प्यार, गम, आसू, शिकायते, नाराजगी, कुचभी हो,
लेकीन वोह कभी साथ छोडता नही।-
वक्त था जुनुन था जवानी थी दस्तुर था रुहानी थी।
बस मजबूरी थी के साथमे मग़रूरी थी।।
मग़रूरी तो बस लफजोकी रुमानगी है।
उसके पिछे हमारी बेबस कहानी थी।।
ना दि तवज्जो हमने ना किया गौर ।
आगे का रास्ता सुना था और साथ हमारे अनहोनी थी।।-
हम वोह नही जो 440 से डर जाये।
हम तो वोह है जो short circuit से भी सिगरेट जलाये।।-
श्वासातले ते स्पंदनं,
मादक ती नजर,
हृदयात भिडली ती थेट...
अजूनही जडलीय काळजात,
शेवटची ती भेट...-
हर रात बेईमानी,
हमसफर मिलजाये तो तरानी,
और ना मिले तो कटानी मुश्किल होती है।
भरे घर में ये रुहानी,
तो खाली दिमाग में शेतानी,
सच है हर रात की अलग कहानी होती है।।-
जिस दिन से कच्चे डोर से बंधे रिश्ते निभाते है हम,
जिस रोज से सच्चे मोहब्बत की मिसाले देते है हम,
ता उम्र साथ रहने की कसम खाते है हम,
और उसी के साथ मरने के ख्वाब बुंते है हम,-