मुद्दतों बाद आज लिखने चलीं हूँ
कुछ सिखाने, कुछ सिखने चलीं हूँ
अपने उलझे हुए क़ाफ़िये को
फूरसत से आज सुलझाने चलीं हूँ
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A confused soul
Happiness seeker
Playing life's role
Job: |ACS| Executive ... read more
दर्द-ए-दिल ज़रूरी है शायरी के लिए
चलो फिर से इक बार इश्क़ किया जाये
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जीतेजी जो कर न सके वो अब कर दिखायेंगे
इश्क़ का मतलब तुमहे मर के समझायेंगे
यकीन करो या न करो मेरी मुहब्बत पे तुम
जनाज़े पे तो आशिक ही कंधा देने आयेंगे
उनके अश्क देख कर शायद तब तुम समझो
इस शख्स को तुने दिल के कितने टुकड़े गिनाए है
खुदा के बाद तेरी ही इबादत की
पर हर दुआ मेरी तुने ठुकराये है
नज़रें मिलाके सौ बार इश्क़-ए- इज़हार किया
पर तुने गरीब समझके हर बार मूहँ मोड़ लिया
कैसे बताउं तुमहे इश्क़ का कितना अमीर था मैं
शायद मेरी कब्र की खुशबू तुमहे मेरी औकात बताएगी
तब एक आंसू न बहाना मेरी जान तुम
क्योंकि मर के भी मेरी रूह को तेरी दर्द तड़पाएगी
हमेशा मांगी है खुदा से खुशी तुम्हारी
मुर्दे जिस्म से भी तुम्हे मेरी इश्क़ की खुशबू आयेगी
.... Nuzhat Nasreen
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ज़िन्दगी तुम, तेरी बंदगी मैं
मुहब्बत तुम, तेरी चाहत मैं
ऐसे हसीन ख़्वाबे है मेरी
ज़रा नवाज़िश फरमाये तो कभी
दिल - ए- हालत पर मेरी
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उम्मीदें ज़िन्दगी से कभी कम होती नहीं
और कम्बख्त ज़िन्दगी भी
कभी उम्मीदों पर खड़ी उतरती नहीं
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ज़िन्दगी से हमेशा रहेगा ये गिला
पहला प्यार मेरा उसने क्यों मुकम्मल न किया
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ज़िन्दगी तेरे बिना कब्र जैसी लगतीं है
पेहना हो जैसे सफेद कफ़न और रूह निकल रही है
तेरे छोड़ जाने के बाद सांस तो चल रही है
पर सब कहते है, शक्ल मेरी मुरदे जैसी लगतीं है
यादों को संवारें रखा है अपने सिरहाने में
पर याद्दाश्त मेरी धीरे धीरे कमज़ोर हो रही है
खुद को भूल चुकीं हूँ, न नाम याद है न शहर
गलीयो में फिरते हुए तेरे इश्क की डोर धुंध रहीं हूँ
कोई पागल बुलाये तो कोई इश्क़ का मारा बताये
मैं तो बस तेरे लौट आने की आस में जी रहीं हूँ
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कोसती हूँ अपने दिल को याद जब तु आता है
क्यों करूँ तुझे याद जब दिया तुने दग़ा है
बर्बादी की कगार पर अब दिल मेरा खड़ा है
चाहा तुझको खुद से ज़्यादा, शायद यही मेरी सज़ा है
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मेरे दिल की दरारों की कोई मरम्मत तो कर दे
थोड़ा ईश्क, थोड़ी वफ़ा इस में भर दे
झुकता नही ये सर सिवाय खुदा के आगे
लेकिन झुका दु दिल उसके आगे
जो इसे फिर नुर -ए -उलफत से रौशन कर दे
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तु था मेरा यकीन, मेरा सच भी था तु
मेरे हर दर्द - ए- ग़म का इलाज था तु
तु था मेरा ग़ुरूर, आंखों का नूर था तु
मेरी हर मसले का इक लौता हल था तु
तु था मेरा ज़मिर, मेरा कायम था तु
जीतीं हुई हर बाज़ी का इनाम था तु
तु ही मेरी ज़िन्दगी, मेरी हर साँस था तु
मेरे अधुरे ख़्वाबों का आखिरी आस था तु
तु था मेरी वफ़ा, मेरी उलफ़त का निशान था तु
मेरी बर्बादी का भी आग़ाज़ और अंजाम था तु
Nuzhat Nasreen
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