"हर रोज़ तेरी याद में आंखें भीग जाती हैं,
पर तुझसे वादा है कि सुबह मुस्कुराकर ही जगाऊंगी।
तू बस एक बार यकीन तो कर,
तेरे ख्वाबों से पहले तेरे दिन की शुरुआत बन जाऊंगी।"-
क्यों वक़्त लम्हें -लम्हें में बता रहा है........
.....की तु टूटा हुआ है.......-
"यूँ तो हर मुलाक़ात इत्तफाक से नहीं होती,
मगर बन जाया करती है एक रिश्ता रूहानियत का…
जो मिलती है बिना वजह,
मगर छोड़ जाती है दिल पर एक गहरा असर…"
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, हर मोड़ पर हमसफ़र बनकर...
आज तन्हा हैं रास्ते, पर यादें हैं सफ़र बनकर...
कभी हँसना था आसान, जब तुम्हारी मुस्कान पास थी...
अब हर ख़ुशी में एक कमी सी है, जैसे अधूरी कोई प्यास थी...
ना जाने वक़्त ने कैसे दूरियों के सिलसिले लिख दिए...
कभी जो थे सबसे अपने, आज दिल के ही गिले बन गए...
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"Zubaan to hai sili-sili,
Par ye labz kuch bayaan karna chahte hain...
Aankhon se keh raha hai woh —
'Bataa de zara, jo dil mein chhupa rakhaa hai'...
Magar dil, dimaag ki khamoshi se dara बैठा है..."-
वक़्त इतना भी न गुजरा था ,
जितना महसूस हुआ था
मैं वही थी, तू भी वही था,
फिर नजाने वो ‘हम’ कहाँ खोया था।
तु कहता था की .....
मैं सुकूँ हूँ तेरा,
फिर तेरा सुकूँ वो कहाँ सोया था
क्यों तूने मुझे पहले ही पल गले से नहीं लगा लिया,
क्या तू किसी और का होके वहाँ आया था।
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हर रोज़ एक नई सुबह ,,,,
अंजान बन कर आती है
दिन भर साथ रहती,
और रात मे अपना बना कर जाती है।।-
Manaa Ishq haseen tha magar
afsos ....
us haseen ishq ka panna sirf ek hi tha.-
क्यों बरस रहा है,
आज तू इतना खुलके।
*क्या वो आज फिर रोया है मेरे लिए*
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