उसका नजर झुका के मुस्कुराना याद है मुझे... उसका नजर चुरा के शर्माना याद है मुझे... याद है मुझे उसकी वो सारी बातें... उसका मुझ से यूं मुँह मोड़ जाना याद है मुझे...
एक उसके होने का एहसास मुझे आज भी है... एक उसे खोने का दर्द मुझे आज भी है... आज भी है उसकी सारी यादें सजो के रखी मैंने... उसका वो पहली बार मिलने का एहसास मुझे आज भी है...
उसके जाने के बाद कुछ इस कदर टूट चुका हूं मैं... सिर्फ उसको छोड़ बाकी सबसे रूठ चुका हूं मैं... तुमसे बिछड़ना ही थी शायद मंजिल है मेरी.. अब तो बदकिस्मती में भी सबसे पीछे छूट चुका हूं मैं...
चाँद भी शर्मा जाये उसकी एक झलक देख के, नूरे भी उसके आगे फीकी फीकी सी लगती है... उसके हुस्न कि क्या तारीफ करू, उसे देख के चांदनी भी देखि देखि सी लगती है... 💌