जब बातें थी , शैतानियां थी , नदानियां थी कहानियां थी ।
जब हर सवाल के जवाब थे , कुछ चंद सुनहरे ख्वाब थे ।
जब जिंदगी में सुकून था ,कुछ कर गुजरने का जुनून था ।
ये उम्र की जवानी बहुत सितम ढाती है ,
उम्र के साथ मासूम बचपन की और याद आती है ।
सबकुछ हासिल होने पर भी सब अधूरा लगता है ,
सुना है बचपन के बाद सब कुछ बूढ़ा लगता है।।
"बचपन"
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और फिर,
एक
वक्त आता है
जब तुम ख़ुद के साथ रहना सीख जाते हो
जब तुम्हे भीड़ से ज्यादा तुम्हारा अकेलापन रास आ जाता है ।
तब तुम्हे अच्छा लगने लगता है ,
हर रोज ख़ुद से मुलकाते करना , वो हंसी और प्यार भरी बातें करना ।
तुम्हे अच्छा लगने लगता है ,
अपने सपनों को हर रोज थोड़ा थोड़ा बुनना ,अपने सारे खयालों को बेफिक्र बेसुध सुनना ।
जिंदगी में कुछ बुरे वक्त शायद इसलिए भी आते है ,
ताकि वो आपको आपसे रूबरू करा सके ।।-
इतनी बड़ी दुनिया के साथ होने के बाद भी
किसी एक की कमी का खलना क्या प्रेम है ?
तुम्हारे अपनो की मुस्कुराहट तुमसे है
पर एक शख्स के खातिर तुम्हारे अश्कों का बहना क्या प्रेम है?
अगर वो प्रेम है तो तुम्हारे साथ क्यों नही ?
और अगर नही तो उसके बिना तुम्हे करार क्यों नही ?-
रिश्ते ख़त्म हो जाते है ,लोग आगे बढ़ जाते है
पर वो एहसास दिल के किसी कोने में रह जाते है ।
जो कभी कभी यू ही उभर आते है
कभी आंखों में आसूं बन कर
तो कभी खामोशी और उदासी बनकर
क्युकी कहते है न की हम प्रेम को तो छोड़ देते है
पर प्रेम हमे कभी नही छोड़ता ।
कभी किसी संगीत की लिरिक्स में झलकता है
तो कभी बारिश की बूंदों में ,उसकी आवाज़ सुनाई पड़ती है
कभी हवाओ के छुवन में ,उसके होने का एहसास होता है ,
तो कभी रातों में उससे जुड़े हर ख़्वाब आ जाते है
सच कहते है रिश्ते मर सकते है पर वो सच्चे अहसास नही मरते।।
अंततः! किसी रिश्ते में आना और जाना हमारे हक में होता है परंतु प्रेम के उस एहसास को महसूस करना या उससे बाहर आने में हमारा कोई इख्तियार नही होता।-
एक दिन ये मद्धम सी रोशनी ,उजागर करेगी तुम्हारे जीवन को
हकीकत में बदलेगी तुम्हारे सपनो को,तुम्हारे मां बाप की उम्मीदों को ।
बस तुम इनके साथ निरंतर आगे बढ़ते रहना ,रख हौसला खुद पर तुम राह_ए_मंजिल पर चलते रहना ।
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कश्मीर से कन्याकुमारी तक, संसद से सड़क तक
साहित्य से सिनेमा तक ,रोटी से रोजगार तक
जो संवादों का पुल बनाती है ,वो "हिंदी" है ।।
मां की लोरी में पिता के डांट में,
दादी की कहानियों में ,दादा की पहेलियों में
जो सांसों में रमाती है दिल में धड़कती है वो "हिंदी" है।
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काश काश काश ।।।।
काश हम तुम्हारी बातों में ना आते ,
काश तुमसे मिलने रातों को ना आते,
काश तुमसे तुम्हारी तरह पेश आते ,
काश इश्क़ _ए_जज्बातों में न आते।।।
काश तुम्हारी तरह हम भी बेवफाई कर पाते ,
काश तुम्हे तड़पता हुआ छोड़ कर हम भी पहले मुकर जाते ,
काश तुम्हारी तरह हमने भी बस खेल खेला होता ,
काश तुम्हारी तरह हमारे दिल में भी हजारों का मेला होता
काश तुम्हारी याद में आसूं निकलने की जगह मेरी जान निकल जाए ,
काश ! तुम तड़पो किसी शख्स के लिए और वो तुम्हे तन्हा छोड़ चला जाए।।।-
कितनी आसानी से छोड़ कर चले जाते है लोग,
यादों की बोझ और वादे की लाशों को छोड़कर
दिल को तोड़कर रूह को निचोड़कर
अक्सर लोग चले जाते है हमे तन्हा छोड़कर।।
बिना ये सोचे की उनके बिना ये मासूम दिल धड़केगा कैसे,
बिना उसके ख्वाबों में आए वो रातों को सोएगा कैसे
वो तो बस छोड़ जाते है अपना नफा नुकसान देखकर।
लोग आसानी से बढ़ जाते है अपनी जिन्दगी में आगे अपने पीछे किसी को रोता छोड़कर।।
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Dear someone ❣️
तुम देर से मिलना पर हमेशा के लिए मिलना ,
तुम बेवजह लड़ना पर ख़ामोशी से लब ना सिलना।
तुम्हे हक होगा मुझे तंग करने का बस कभी मुझसे तंग ना आना।
मेरी गलतियों पर चीखना चिल्लाना पर कभी मुझे छोड़ कर ना जाना ।।
कैद करना मुझे तो बस अपनी बाहों और निगाहों की गिरफ्त में,
मेरे अल्फाजों को मेरे ख्यालों को मुझसे जुड़े मेरे ख्वाबों को तुम आज़ाद ही रहने देना।
और मैं जीवन की हर मुश्किलात में तेरा साथ निभाऊंगी बस तुम मुझे ख़ुद के सामने नादान ही रहने देना।।
तुम सोच अपनी नई रखना पर मोहब्बत वो old school वाली करना ,
मैं तेरा स्वाभिमान बन कर रहूंगी ,तुम अभिमान मेरा बनाए रखना।
My dear future one 💕 तुम देर से मिलना पर सातों जन्म तक साथ बनाए रखना।।।।-
हम फिर से टकराए एक बार,
पर ना गुस्सा आया ना चाहत हुई
ना दर्द हुआ ना राहत हुई।।
अब मिलना बिछड़ना सब उनकी मर्जी
उनका वक्त, उनके लोग उनकी ज़िंदगी।
अब ना वो दुआ में है ना बद्दुआ में मेरे,
मैने माफ़ किया उसे बाकी सब खुदा और कर्मा की मर्ज़ी।-