"मैं इश्क कहूँ, तू बनारस समझे..."
देखें बनारस, एक बार मेरी नजर से...👇
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इन आँखों का हस्र कौन जाने"
-मायशा
जितना भी तुम कर सकते हो
हमेशा उससे बहुत ज्यादा ही 'प्रेम' करना
और
जितना तुम करना चाहते हो
उससे बहुत ही कम करना 'नफ़रत'
क्योंकि तुम जो भी करते हो,
असल में तो खुद पर ही करते हो।-
पूर्णिमा के चाँद में
किसी को दिखाई देता है ईश्वर
किसी को प्रेयसी का प्रतिबिंब
किसी को प्रेमपत्र का अक्षर
किसी को उड़नखटोला ख्वाबों का,
गरीब का बच्चा भूखा है
उसको दिखाई देती है रोटी।-
स्त्रियाँ जानती हैं
तमाम रिश्तों को एक साथ समेटना
जैसे समेटती हैं वो अपने बाल
और बना देती हैं जूड़ा
स्त्रियों को आता है
रिश्तों को एक साथ बाँधना
जैसे करती हैं वो कुछ जादू सा
और बाँध देती हैं चोटी
स्त्रियाँ जानती हैं करना
रिश्तों का सुंदरीकरण
जैसे करती हैं कोई खोज
और लगा लेती हैं गजरा।-
वक्त
उस ढ़ाई-तीन साल के
बच्चे की तरह है
जो कभी किसी खिलौने की
ज़िद पकड़ लेता है,
उसके लिए रोता है
और फिर कभी उसी खिलौने को
तोड़कर हंसता भी है।-
मैं एक बंजारे की कहानी जीती हूँ
मुझसे आशियाने की बात मत करना
सच का पत्थर हाथ में लिए चलती हूँ
मुझसे अफसाने की बात मत करना
एक इश्क ही है जो मुझमें है बेहिसाब
मुझसे दिल जलाने की बात मत करना
सबूतपरस्ती की फितरत मुझमें नहीं है
मुझसे आजमाने की बात मत करना
मैं ज़माना खुद में लिए चलती हूँ
मुझसे ज़माने की बात मत करना-
"It's Okay"
It's okay
if your belly don't allow you
to wear westerns,
It's okay
if your second day's pain
hits your facial expression,
It's okay
If you can not put
in right way the eyeliner,
It's okay
if you can not manage
the heels which are higher,
It's okay
if you're unable to do
delicious in the kitchen,
It's okay
if your wardrobe have
a scene of old fashion,
Dear Girls!
It's all okay
Because this is your "OKAY"-
औरतें सिर्फ सच नहीं कहतीं
अगर कहने लगें,
तो गिर जाएंगे सभ्यताओं के छत।
औरतें सब कुछ नहीं कहतीं
अगर कहनें लगें,
तो गिरने लगेंगी सभ्यताओं की दीवारें भी।
वो जानती हैं कि
बात पूरी होते-होते
ढ़ह जाएंगी सब सभ्यताएं।-