कल बेबजह था
आज बेमतलब है
मगर है ....
और यही काफी है-
मैं हर रात इक अकेलेपन का
अहसास लिए सो जाता हूँ
तुम जो take care बोलते हो
मेरा take care न बोलना
इक वादा ही तो है
हर पल तेरे साथ तेरी परवाह करने का
For U-
महसूस करो उन रास्तो को
जिस सफर पर तुम चलते हो
गर जो मंजिल मिली तुमको
ये रास्ते बाहत याद आएंगे...-
आना तुम फिर एक बार....
बस
खुशी के लम्हात
बीत जाने दो...
कुछ वक्त बीत जाने दो-
वही पांव और इन सफेदपोश पांव में काला धागा
शरद मौसम में भीगकर
जो नमी आ जाती है ना
तुम्हारे चेहरे से साफ दिखती थी.....-
ये बारिश भी उस बारिश से कम नही है
न कम है अहसास इन बूंदों का
जब बिठा कर पर्वतो ने अपने आगोश में
उन बूंदों का उपहार दिया था
तेरे माथे से टपकती हर बूंद
जब तेरे गालो से होकर गुजरती थी
तेरे हांथो की कपकपाहट मेरे दिल मे
सिहरन पैदा कर दे रही थी
ये बारिश उस बारिश से जरा भी कम नही है
तुझे याद है वो नीम का पेड़
वो सायद नीम का पेड़ ही तो था
जिसके नीचे बैठकर हमने
बूंदों को पकड़ने की कोशिस की थी
देर तक बैठे थे हम दोनों उन बूंदों के साथ
नंगे तार पर बहती दो बूंदें
किस तरह देखते देखेते एक हो जाया करती थी
और गिर पड़ती थी हमारे हांथो की बनी अंजलि में
जिसे देखकर उन बूंदों ने हमे
हमारे होने का अहसास दिलाया था
ये बारिश उस बारिश से जरा भी कम नही है
न कम है अहसास इन बूंदों का ......
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बता नही सके तुम
की तुम आज भी मेरे शरद हाथो को पकड़कर
मुझे रोक लेना चाहते थे
तुम चाहते थे मुझे
कसकर हग करना
और हर बार की तरह उन पलों को रोक लेना चाहते थे
बता नही सके तुम
....
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कुछ ज़िंदगियाँ जो कभी नही मरती
न अपनो से कोई शिकायत
न कभी ये रोती है
न कभी ये हारती
एक अजीब सा खालीपन लिए
बस चलती जा रही है
Aimless , senseless
धीरे धीरे....
न सपने बचे है ना इनकी कोई हकीकत
मन के अंदर गूंजते सन्नाटे में
हवा के जैसे सरसराती
कुछ ज़िंदगियाँ जो कभी नही रुकती
मद्धम सी खुसबू के साथ
खुवाब है जैसे तैरते बनते है बिगड़ते है
कभी बसते है तो कभी उजड़ जाते है
बस चलते जा रहे है वक़्त के साथ
ना साहिल का पता है , न पता है शहर का
ठहरेंगे कहाँ ये
कहाँ है इनका सवेरा
वो खुवाब कुछ ज़िंदगियाँ जो कभी नहीं देखा करती-