हालातों से तप कर कभी चट्टान बनती है
तो कभी हिमालय की बर्फ़ सी पिघलती हैं जिंदगी— % &-
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जीवन क्या है चलता फिरता एक खिलौना है
दो आँखों में एक से हँसना एक से रोना है
जो जी चाहे वो मिल जाये कब ऐसा होता है
हर जीवन जीवन जीने का समझौता है
अब तक जो होता आया है वो ही होना है
रात अँधेरी भोर सुहानी यही ज़माना है
हर चादर में दुख का ताना सुख का बाना है
आती साँस को पाना जाती साँस को खोना है— % &-
हर बार लिखी कोई कविता नई।
हर बार हुई कोई प्रीत नई।
हर बार हुई कोई जीत नई।
मन को मेरे बहलाती है
हर बार मगर लगता है यूँ ही
थोड़ी सी कमी रह जाती है
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मेरी वाली इतनी नालायक है
जब हमारी लड़ाई होती है तो सीधे मारपीट
पे उतर आती है
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काफी दिन बीत गए थे घर बैठे बैठे अचानक से मन किया कुछ अपनी मन पसंद dish खाने का फिर क्या था उठाई bike और और पहुँच गया अपने मन पसंद restorent, and I orderd I hot and extra cheese pav bhaji, थोड़ी देर बाद जैसे ही प्लेट सामने आई उसकी खुशबु से मन तृप्त हो गया लेकिन जैसे ही खाना शुरू किया ये क्या आज इस मेरी favorite पाव भाजी में वो स्वाद ही नहीं आ रहा था बहुत फीकी सी बेस्वाद लग रही थी, क्योंकि उस पाव भाजी की प्लेट पर कोई मासूम निगाहें restorent के शीशे को पार करते हुए टकटकी लगाए थी, उस दिन वो पाव भाजी तो उस मासूम तक पहुँच गई, लेकिन और कितनी कितनों तक पहुुंचेगी ये सफ़र जारी है,
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तुम जानते हो मैं क्या हूँ लेकिन तुम ये नही जानते मैं क्या हो सकता हूँ
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अगर आपकी भुजाओं मे सामर्थ्य है तो आप पांडवो की तरह जुये में हारे हुए राज्य की भी वापस पा सकते है,
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उड़ती हुई धूल की भी फितरत बदल जाती है।
जब बारिश आती है न तो पैरों से लिपट जाती है-
लोगों का नजरिया बदल रहा है
हर कोई यहां अब स्वार्थी निकल रहा है।
रिश्तों मे प्यार नहीं ,बातों का खंजर निकल रहा है।
कौन अपना है किसकी गिनती परायों मे करें।
हर एक को समझने का मंजर बदल रहा है-
कट गई मुफ़लिसी, जितनी कटनी थी।
अब तो जिंदगि ऐ बहार बाकी है।
और अभी तक तो जमाने ने जकड़े थे पंख।
अब तो बस उड़ान बाकी है।
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