MWIN 1920   (Dhanjeet Kumar)
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Joined 10 August 2020


Joined 10 August 2020
19 HOURS AGO

यकीन मानिए जनाब इस दुनिया में आप से खूबसूरत इंसान और कोई नहीं है।
और आप से बुरा भी कोई नहीं है।
😃😎😃

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YESTERDAY AT 14:25

Tera khada ho jata hai to tu mard nhi hai
Mard vo hai jo safal hai apni zindagi aur apne logon me...
😎😎😎

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6 JUN AT 14:24

मैं नहीं कहता कि तेरी जरूरत है,
बस ये उम्र गुजर जाए तेरी मुहब्बत में,
तू चाहे तो करते रह रुसवा मुझे
हम तड़पना चाहते हैं मुहब्बत में
इंतजार नहीं करता हूं मैं तेरा मगर
बस तेरी यादें बड़ा सताती है मुझे,
मैं जानता हूं अब तू लौटेगा नहीं,
बस दिल नहीं लगता ये मुहब्बत में ।
लोग किस तरह होते हैं पराए यहां
हमने देखा है रहकर के सोहबत में
मैं ज़माने का एक बदगुमान हो गया,
लोग क्या नहीं करते हैं मुहब्बत में ,
आख़िर कब तक तू कोसेगा खुद को “ धनजीत”
तू मर तो न जायेगा मुहब्बत में।

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6 JUN AT 11:56

चाहे तू थाम ले मेरी बांहे,
चाहे तू छोड़ दे मुझसे मिलना,
हर दम तू ही मुझमें है शामिल,
मुझे बस तुमसे मिलता है चैना
चाहे तू इश्क़ मुकम्मल कर ले,
चाहे तू दिल की गली से गुजरना ,
चाहे तू खुद को मुझमें संवारे
चाहे तू आंखों में मेरे ही रहना,
चाहे तू आ कर के कानों में मेरे
कह देना जरा आहिस्ता,
मैं तो तेरा ही हूं है ना! -*4

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4 JUN AT 1:10

मुहब्बत 💕 एक ऐसी बीमारी🤒 है,
जिसका कोई इलाज 🤐नहीं होता,
और जो इलाज🧐 होता है,
वो 🤔हमारे 🫵पास नहीं होता।🤫🫢

This is true fact....🙃you know

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2 JUN AT 16:17

Family is one that
Understands each other's
Feelings and Supports them.

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1 JUN AT 18:13

Thank you, CEO YOUR QUOTE

for verifying me writer...🙏

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31 MAY AT 23:47

कोई दस्तक दे रहा है, कोई आया है क्या,
शायद वोही होगा जो वर्षों दिल खटखटाया नहीं मेरा
देखता हूं, ज़रा खिड़की से झांक तो लूं,,
अरे नहीं! ये फिर वही रद्दी वाला!
शायद! कागजे लेगा कुछ पुरानी धुरानी,
वही आलमारी में पड़ी हुई कुछ भूली बिसरी बातों की,
कहानियों की किताबें, कुछ रद्दी अखबार, कुछ चिट्ठियां,
कुछ तन से बेकार जिसके लिबाज उखड़े होंगे,
पर मेरे मन का क्या जो अब तक न आए तुम मिलने,
देखो न ये उत्पीड़न कैसे बढ़ रही है मेरे दिल में,
जैसे चिथड़े हुए जा रहे हैं उन फालतू कबाड़ की तरह
कितना ज़माना लगता बीत गया हो तुम बिन,
देखो न बहुत कर लिया इंतजार मैंने,
अब तो आ जाओ न मिलने,
सुनाई नहीं देता क्या बुला रहा हूं मैं!

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28 MAY AT 23:22

माना कि मेरे शहर की हवा गरम है,
मगर तेरे गांव में तो ठंडी हवा आती होगी।
यूं ही तो नहीं जाते होंगे लोग ठेके की तरफ,
जरूर वहां की शीशी में दवा आती होगी।

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27 MAY AT 7:05

किसी पिंजड़े का आदी नहीं था मैं,
किसी के दिल में रहा मैं वर्षों तक,
जब उसने छोड़कर मुझे आजाद किया,
तो, ठिकाना ढूंढ़ता रहा मैं वर्षों तक ।

Full poetry in caption... 🙏

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