जिस शख्स को देख के जीते हो खुद उसको बुरा कह देते हो,
हाफी तुम्हें याद नहीं रहता तुम पी कर क्या कह देते हो
~ तहज़ीब हाफी-
muzahid sheikh
(मझ्ह)
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कुछ खास लिखने का हूँनर नहीं है मुझमे,
बस जिंदगी जीते हुए कुछ लम्है लिख देता हूं...।
बस जिंदगी जीते हुए कुछ लम्है लिख देता हूं...।
Joined 22 October 2017
24 JUN AT 18:47
31 MAY AT 20:41
7 APR 2024 AT 17:09
कोई एक शक्स है जो आज खूब खुश हो रहा है,
हाय... २२ दिन का रोजा आज इफतार हो रहा है...-
14 FEB 2024 AT 18:18
1 FEB 2024 AT 23:34
दिन का रोज़ा , रोजे की प्यास , इफतार का पानी एक तरफ,
दिन भर काम , दिन की थकान , उसका चेहरा एक तरफ...-
8 NOV 2023 AT 22:41
तेरे मेहंदी लगे हाथों पे मेरा नाम लिखा है,
जरा से लफ्ज में कितना पैगाम लिखा है !-
7 JUL 2023 AT 0:38
अल्लाह बोहोत मेहरबाँ है मुझ पर,
के मौत के पेहले मुझे जन्नत ❤ दी है...-
3 JUL 2023 AT 1:01
दुनिया चाहे लाख बेचैन करदे मुझे फर्क नई पड़ता,
तेरा तसव्वुर ही फाफी है मेरे दिल के सुकून के लिए...❤-
18 MAY 2023 AT 0:05
वो अंधेरी रात मे दोस्त को हमसफर बनाए गुमना,
कसम से, इस दौर ए जिम्मेदारी मे कुछ गुम सा गया है...-