तू किसी सागर सा गहरा है,
मैं जैसे दरिया हूँ कोई,
आ, की मिल जाए इस क़दर हम,
ना तू मुझसे अलग हो,
ना मैं तुझसे जुदा हूँ..
- ऋषव आनंद-
ज़िन्दगी एक खूबसूरत सफर ही तो है,
हर किसी को यहाँ पानी ज़फर ही तो है,
हर कोई होना चाहता है सबसे अलग,
भीड में खो जाने का ये डर ही तो है,
तन्हाइयों को गले जो लगाया है तुमने,
किसी के धोखे का ये असर ही तो है,
अब जो चल पड़े हो अकेले, तो चलो,
गम कैसा,
बीत जाएगा ये सफर भी मुख़्तसर ही तो है
-ऋषव आनंद
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वो जितनी भी बार मुझपर अपनी निगाह करता है,
हर बार कुछ न कुछ ठीक होता है मेरे अंदर,
हर बार कुछ न कुछ वो तबाह करता है
- ऋषव आनंद-
तेरे जाने का कोई ग़म नहीं है मुझे,
ये तो बस मैं अल्फाज़ो को मुकाम दे रहा हूँ
हाँ कुछ बातें ज़रूर है जो चूभती हैं मेरे सीने में,
मैं जिन्हें शायरी का नाम दे रहा हूँ
- ऋषव आनंद-
बीते लम्हें वो सारे,
संग तुम्हारे जो गुज़ारे,
धुंधले धुंधले से लगतें हैं,
जाने क्यों वो बिन तुम्हारे,
ये रातें भी वहीं है,
ये दिन भी वहीं है,
मगर खाली खाली है सब,
बिन तुम्हारे।
कुछ यादें है तुम्हारी,
कुछ किस्से है हमारे,
जिए जा राहा हूँ बस इन्ही के सहारे,
सहर भी वहीं है,
शहर भी वहीं है,
मगर तनहा तनहा है सब,
बिन तुम्हारे।
~ ऋषव आनंद-
ये बारिश जब भी होती है मुझे बेचैन करती है,
मैं बेचैन होता हूँ तेरा दीदार करने को,
जब इन बारिश की बूंदों में तेरी तस्वीर दिखती है,
मैं फिर बेचैन होता हूँ तुझे बाँहों में भरने को-
वो अपनी एक हँसी में न जाने कितने ग़म छुपाता रहा,
और चेहरे देख कर यहाँ लोग दिमाग पढ़ने का दावा करते हैं।-
एक शख्स था जो कहता था
मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं हूँ,
आज वो सबकुछ है,
बस मेरा नहीं है...
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दर्द दिल का आँखों से छलक हीं जाएगा
ग़म के साये में आखिर मुस्कराओगे कब तक?
खुद को रूसवा तो बखुबी से करते हो मगर
ऐब महबूब के दुनिया से छुपाओगे कब तक?-