*करिश्मा ए कुदरत*
ना जाने कोनसा जादू है तुझ में
तुझसे नजर हटती नहीं,
ना जाने कौन सा नशा है
तुझ में ही डूबी रहेती हूं,
क्या खूबसूरती है तेरी
तुझे देख ही दिल जुम उठता है,
ओ कुदरत......!
खास है तू वरना ऐसे ही ना मरते तुम पर।-
हर चीज़ हमें हद में अच्छी लगती है...
पर
तुम्हारी ये दोस्ती हमें बेहद प्यारी लगती है.....-
क्या फायदा नज़दीक होने का....
जब दूरियां ही कुछ ज्यादा हो।
कुछ लोग तो दूर होकर भी....
पास हैं।-
तु तो मेरी हर एक चाई ही घुट की तरह है,
जो हर एक घुट में सुकून दे जाती है।-
*राह मैंने महोबत की जगह दोस्ती की चुनी है......
इस ही लिए तो अकेली ही मुसाफ़िर हूं इस राह की.....*-
*कोन कमबख्त तुझे चाहता है।
वो तो हम पागल थे जो तुमसे महोबत कर बैठे।*
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हर किसी पर कविता लिखी नही जाती
हर किसी से नज़रे मिलाएं नहीं जाती
वो तो हम पागल थे
जो तुमसे महोबत कर बैठे
इस लिए देखा करते हे आपको
वरना __
हर किसीके नाम कागज पर लिखे नहीं जाते__-
*कुछ रिश्ते के कभी नाम नहीं होते लेकिन वो होते हे।
वैसे ही हम कभी जताया नहीं करते लेकिन प्यार तो बहोत करते है आप से।*
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कबूल है तुम्हारी नफरत भी हमें
बस बात करना ना छोड़ना मुझसे
तुम्हारी इन बातो की आदत हो चुकी है हमें।-
*ये इश्क विस्क हमसे ना होगा।.....
हम तो बस अपनी दोस्ती की दुनिया में ही मस्त है।*-