बचपन में याद रखना बहोत मुश्किल लगता था..
अक्सर मैं इम्तहान में वो भूल जाती थी,
जिस चैप्टर को रात भर जगकर पढा होता था..!!
हाँ, शायद वो इस लिए क्योंकि उसे
अच्छे से समझ के नहीं पढा होता था..!!
वैसे बडे़ होने के बाद बहोत कुछ है,
जो शायद समझ में नहीं है, जैसे कि "तुम"..!!
ऐसा है तो फिर, तुम्हें भूल क्यूँ नहीं जातीं मैं ..!
या फिर किसी पसंदीदा चैप्टर की तरह
समझ के पढा है, इसलिए
तुम्हें भूल नहीं पातीं मैं..!!!
पता नहीं..
खैर, जो भी है पर मुझे तो भूलना है..!!
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