काश कुछ ऐसा हो जिसे
मेरा मनचाहा रब के अनचाहे में शामिल हो जाए-
जो ना सुकून से सोने देता है
ना अपनी परेशानी किसी से कहने देता है
ना खुद तालुक रखता है
ना मूझे किसी का होने देता है
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मेरे ख्यालो में तेरे मेरे साथ होने की हिमाक़त है
हां तुमसे मोहब्बत है
मेरी बेरंग सी जिंदगी में तेरे रंगभरे ख्यालों की चादर है
हां तुमसे मोहब्बत है
मेरे मन के बेपरवाज़ परिंदे को तेरे मेरे साथ के ख्वाबों का ख़ूबसूरत आसमां में बेपरवाह उड़ान कि इजाजत है
हां तुमसे मोहब्बत है
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शादी के रीति-रिवाज या एक सामाजिक दिखावा
आज के समय में शादी को महज एक सोशल स्टेटस बना कर छोड़ दिया है... लोग ये नहीं सोचते कि शादी कितनी शांति से हो पर ये जरूर सोचते हैं कि शादी कितनी हाईफाई होगी... जितने बड़े शादी का सम्मान उतना समाज में नाम... जहां आज कल एक नई चीज देखने को मिलेगा शादी के लिए लोन.... शादी जो दो परिवारो का बंधन मना जाता है उसको आज के समय में सोशल स्टेटस के तौर पर देखा जाता है..
बिना सोचे समझे लोन लिया जाता है सिर्फ इसलिए कि लोगों को देखना है... बाद में मैं क्या वो लोग आएगे लोन पूरा करने नहीं... अगर ये लोन लड़की वालों द्वारा लिया जाए तो लड़की के घर वालो को लोन पूरा करते एक samay bit jaata hai... या यदि ldk वालो द्वार लोन लिया जाए तो वो लोन unki aajne waale jeevan ko प्रवाहित kare gi...
जिसकी वजह से ना जाने की जगह खड़े होते हैं भविष्य के लिए । काश कुछ ऐसा हो कि लोग शादी को शादी की तरह ले ना कि दिखावे के तौर पर जिसे ना किसी के ऊपर बोझ बने गा ना किसी का जीवन प्रवाहित होगा। जहां परिवार को शादी की खुशी हो ना कि टेंशन केसे क्या होगा-
Insaan bhi kitna ajeeb hai...
Kbhi kuch pura na hone ke liye dua karta hai or jb wo dua kabool ho bhi jaye to fir bhi bura lagta hai-
वो समय अच्छा था जब जाति बंधन का खेल नहीं
शबरी घर झूठे बेर खाए राम ने अब उसे समय सा मेल नहीं
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तुम पास अब आना नहीं
मेरी खामोशी को तुम अब आज़माना नहीं
बहुत सबर कर के छोडा है तुमको
तुम अब पास आना नहीं
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समझोता कर लेना चाहिए ख्यालो और हालातो से क्यों कि ख्याल हर किसी के पुरे नहीं होते हो और हालात हर किसी के लिए नहीं बदलते
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कभी किसी को चाहने के लिए चंद मुलाकात भी बहुत होती है
कभी किसी के साथ एक अरसा बिता देना भी कुछ नहीं
कभी किसी के साथ बिताये कुछ लम्हे यादों का कारवां बन जाते हैं
कभी किसी के साथ बीती एक उमर भी कुछ नहीं
कभी किसी से बिना मिले एक सफर तय हो जाता है
कभी किसी के साथ एक घर में रहना भी कुछ नहीं
कभी किसी से कुछ मिनट की बातें भी आजादी दे जाती है
कभी किसी के साथ घंटो बैठना भी कैद से कम नहीं-