कभी तो कुछ वैसा हो
जैसा मैंने सोचा हो 🍃
– मुस्कान शर्मा ❣️-
💙Rah_de_Krishan 💙
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कुछ भी तेरे बाद नहीं है,
ये तक तुझको को याद नहीं है
इश्क़ मका हैं गिरने वाला
जज्बे की बुनियाद नहीं हैं
तेरा होना हक़ है मेरा
ये कोई फ़रियाद नहीं हैं
दिल जंगल तो बंजर हैं अब मेरा
गोशा इक आबाद नहीं है,
एक जहाँ में कितनी खुशियां
लेकिन कोई शाद नहीं है..
शेर सुनाया करती थीं में भी,
पर अब कुछ भी याद नहीं है✨
– मुस्कान शर्मा ❣️
-
जो आपके पास है उसकी कदर करो
अच्छे के चक्कर में बेहतरीन को मत खो ✨
– मुस्कान शर्मा ❣️-
तू मेरी राह में क्या आया
मैं मुसाफ़िर अपने ही रास्ते से
देख कैसे भटक गया
रहबर बन जा अब मेरा और
तू ही रास्ता बता ✨
– मुस्कान शर्मा ❣️
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जिनकी आंखों में हम कांटो की तरह चूबते हैं न
भगवान करे उनकी आंखें सलामत रहे ।
– मुस्कान शर्मा 💙-
We got seperated for a month,
But the years have been passed,
I still remember your words "i cant live without you"
Now the only thing which i have is loneliness all around.
There was a time when you wanted to meet me every single day.
Now i want to meet you, see you but you are miles away.
I still remmeber those words "we will never be apart"
But you dont even rember those promises and commitments.
In your dreams my one day was equivalent to one year.
That last meet was yestrday for you.
There was a time when we shred all the moments together.
I remember those romantic talks.
I miss you every single day.
I so wana see you .
I am all lost .
I dont understand when i will be able to see you.
I dont understand what have i done.
That my fate has remorsed with me.
You were all in my heart every breathe every second.
You are the only reason for this loneliness
- Muskan Sharma-
कन्या मान :–
समाज, रिश्तेदार, दोस्त, समाजिक वर्ग
इनके लिए होता हैं कन्या मान ।
कन्या दान :–
इक माता–पिता के जीवन की सारी पूंजी, उनका त्याग, उनका श्रम, उनकी तपस्या, उनके संस्कार।
रामायण काल में जब राम जी के पिता महाराज दशरथ महाराज जनक के पैर छू कर के नमन करते हैं तब
महाराज जनक कह रहे हैं :– महाराज आप तो वर पक्ष के हैं आप तो हमसे बड़े हैं। आप तो लेने वालो में से हैं ।
महाराज दशरथ का उत्तर सुन कर के आपका मन प्रसन्न हो उठेगा ।
दशरथ महाराज महाराज जनक से – महाराज आप तो द्वारा हैं। कन्यादान दे रहे हैं हम याचकहैं (मांगने वाले)
देने वाला हमेशा बड़ा होता हैं।
धन्य हैं कन्या
धन्य हैं कन्यादान
और अंत में कन्या मान नही कन्या दान
कन्या मान तो कोई भी कर सकता हैं समाज, रिशतेदार, दोस्त
लेकिन कन्या दान सिर्फ माता–पिता ही कर सकते हैं ।
सबके नसीब में नहीं कन्या दान ।
– मुस्कान शर्मा 💙✨-