6 JUL 2020 AT 0:07

*गुरु*
गुरु जीवन जीने की कला सिखाता है..!!
समस्याओं की पथरीली जमीन पर...
समाधान के गुल खिलाता है ..!!
गुरु श्रेष्ठ वही कहलाता है !!
गुरु श्रेष्ठ वही कहलाता है!!
कृतित्व से अपने शील गुण सिखाता है ..
शिष्टाचार का हुनर सिखाता है...!
अनपढ़ अनाड़ी से सुघड़ बनाता है ..
विद्वत्ता के गुर भी सिखाता है ।।
गुरु श्रेष्ठ वही कहलाता है..!
गुरु श्रेष्ठ वही कहलाता है.!!
संशय मिटाता है ज्ञान बढ़ाता है..
समाज में सिर उठा कर
जीने के काबिल बनाता है ..!!
दुनियाँ की ऊंच नीच का भी
भान कराता है !!
दुनियादारी के गुर भी समझाता है !!!
गुरु श्रेष्ठ वही कहलाता है.!!
गुरु श्रेष्ठ वही कहलाता है.!!
लेखिका-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश ( 05 जुलाई 2020 )
मेरी यह रचना पूर्णता स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक है सर्वाधिकार सुरक्षित हैं इसके व्यवसायिक उपयोग करने के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद 🙏

- प्रतिभाद्विवेदी मुस्कान©