13 JUN 2020 AT 15:42

*आत्मबल*
आत्मबल के दम पर ही ..
व्यक्तित्व निखार पाता है!!!
कैसे भी हालात हों मानव
अवसाद से घिर नहीं पाता है!!!
ये तो जीवन घुट्टी है ...
व्यक्तित्व की रीढ़ बनाने की .!!
गर आत्मबल का संबल है...
तो जरूरत नहीं जमाने की .!!
इसमें उम्मीदों की किरण अपार .
हौसले को मिले विस्तार..!!
सबसे सच्चा साथी है ये
पहुँचाता मंजिल के द्वार !!
खुद पर भरोसा करना ये सिखाता है...!!
धीरज यही बँधाता है..!!
नामुमकिन को मुमकिन करने का...
जज्बा यही जगाता है!!!
हार कभी होने नहीं देता
जीत सदा दिलवाता है!!
आत्मबल के दम पर ही मानव ...
जीवन सुलभ बनाता है!!!
सतत प्रयासों के कारण ही
संबल इसको मिल पाता है.!!
निकम्मे बनकर बैठने से
आत्मबल नहीं बढ़ पाता है!!
संघर्ष में हर्ष का अनुभव देता
ढाँढस यही बँधाता है...!!
संकट में इसके दम पर ही
भव से पार मनुज हो पाता है!
भव से पार मनुज हो पाता है!
लेखिका-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश ( 13 जून 2020 )
मेरी यह रचना पूर्णता स्वरचित मौलिक व प्रमाणिक है सर्वाधिकार लेखिका के हैं इसके व्यवसायिक उपयोग करने के लिए लेखिका की लिखित अनुमति अनिवार्य है धन्यवाद 🙏

- प्रतिभाद्विवेदी मुस्कान©