नज़रें मंजिल की तालाश की ओर,
भुखों को सुकून से रोटी के दो कौर ।-
वक्त रहते संभलने की हिदायत हो मिलना,
या तुफान से पहले किसी खामोशी का गुजरना ।
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beadab ye bediya sambhaale khada hu,
khokhla hokar v main sampoorna bhara hu,
gam ki gardisho'n main has k nikal pada hu,
beshak pAak iraade"n liye auro'n ki muskaan bdhane nikal pda hu
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तुम भाईचारा का दिखावा करना
मै हिंदु_मुस्लिम का बंटवारा करूंगा ।।
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यार चेहरे तो कई खास है कुछ अपने पास है
और कुछ खुद से ही उदास है ।-
तू पास है या दूर है इसका भी ना कोई ख्याल है
अब तो जैसे रह गया बाकि बस मोहब्बत का मलाल है !
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कैसी है ये बेड़ियां,कैसी ये उछाल है
खुद से ही मैं कर रहा हूं,क्यों इतने सवाल है !
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दूरियां जो खोखला कर दे बंधन को
Us Bandhan ka ek gaath hu main,
सैकड़ों वादा निभाने और ज़िंदगी की जद्दोजहद में
use bhul jaane ka ek faansla hu main,
खुद को समझाने और रिश्तों को बचाने की कोशिश में
auron ki trah jeeta ek nakaab hu main,
koi nahi bs उलझा_बंधा ek नकाब hi hu main ।।।
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किसी को इतना क्या "अपना" बनाना
की अपनों से ही "बेगाना" हो जाना ।।।
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गुजरते वक्त के साथ जो रिश्ता टिका रहता है
Us rishte ka ek Neev hu main,
खुद से खुद को मिलाने वाले सफर का
bhatakta ek musaafir hu main,
बिखरे हर ख्वाब को समेट कर रखने वाला
band ek mutthi hu main,
भाग_दौड़ की इस ज़िंदगी में,हजारों झुठों के बीच पल रहा
bas ek sach hi to hu main ।।।
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