महक जिन्दगी की है,
तेरे खतों में,तेरे लफ्जों में,
हर लम्हा,हर पल महका,
फूलों सा एहसास मिला।-
फागुन की लाली,पलाश के रंग,
अनाम अभिलाषा,आरजू , सुकून
मुस्कान की तरंग,चाहत स... read more
अंधेरों में रोशनी तलाश रहा हूं,
बिखरे हुए हौंसले समेट रहा हूं,
मुड़कर क्या देखूँ जिंदगी तुझे,
मैं मंजिल के ख्वाब सजा रहा हूँ।-
अपनी बात कह न पाना,
स्वेच्छा नहीं,मजबूरी है,
हृदय में घुटन है
ये मौन वास्तव में
चीख है ।
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अन्न का कभी अनादर मत करना,
जितनी भूख हो उतना ही परोसना,
क्योंकि हर किसी की किस्मत में
भरपेट भोजन नहीं होता,
ये बात याद कर,
उस अन्न को नमन करना,
अपने परमेश्वर का,
इस धरा का और किसान का,
सभी का आभार व्यक्त करना।
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स्याही कहती है,लिखो कुछ ऐसा,
कि खून रगों में खौल उठे
अपनी जमीं की शान के लिए
हम जीयें और मरें
दुश्मनों के दिलों में खौफ उठे,
हिम्मत उनकी टूट जाये
जो माँ भारती पर बुरी नजर रखें।
लिखों कुछ ऐसा जो इतिहास बदले,
लिखो कुछ ऐसा जो नीव का पत्थर बने।
जो प्रेरणा का स्त्रोत बने,
जो परिवर्तन की आँधी बने,
जॊ गंगा की धारा बन,
मनों को र्निमल करे,
जो गहन शांति की ओर,
सभी को लेकर चले।
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ये तुम्हें तुमसे मिलाती है,
आईना दिखाती है,
जो लोग न कह पाये,
वो सारे ऐब बताती है,
मुश्किल घड़ी में
मनोबल बनकर
.तुम्हें जीना सिखाती है,
अपनों में परायों की पहचान,
परायों में अपनापन,ईमान,
जिन्दगी के रंग दिखाती है,
बड़े काम की है ये तन्हाई,
ये अधूरापन मिटाती है।-
मुश्किलें हो,तकलीफें हों,पर साथ हौंसला रखना,
रास्ते मंजिल तक पहुँचा देंगे,बस सफर जारी रखना।-
गहरी रात और तन्हाई बेहिसाब,
समन्दर की लहरें,कितनी बेचैन,
मानो राह देखती हैं उजालों की,
खिले चेहरों और मुस्कुराहटों की।-
हाँ हो गयी हूं निष्ठुर
ठहरी सी धूप हूँ,
अनवरत बरखा हूं,
हृदय मौन है अब,
पीड़ा से परे हूँ,
तुम्हें समेट कर आँखों में
दुनिया को भूली हूँ,
हाँ मैं निष्ठुर हूं ।-