बिन मौसम के, बरसात हुई
एक छतरी के नीचे, कैसे बताये क्या बात हुई
ना भूल सके ऐसी, घटना हमारे साथ हुई
थे दो जिस्म, बिन कहे एक जान हुई
हाय! ये क्या हमारे साथ हुई
बिन मौसम के बरसात हुई
कहने को बहुत कुछ थी, पर बिन बोले ही बात हुई
निगाहें उनकी कुछ इस तरह हम से आ मिली
ना जाने कैसे ये हसीन मुलाक़ात हुई
कुछ ऐसी घटना हमारे साथ हुई
बिन मौसम के बरसात हुई
चोरी - चोरी, चुपके - चपके फिर कई बार मुलाक़ात हुई
नास्ता हो या dinner हो कई बार साथ हुई
बहुत हसीं उन मुलाक़ातों की याद हुई
बहुत सोची समझी भूल हमारे साथ हुई
बिन मौसम के बरसात हुई-
Fiqr e duniya kar ke dekha
Fiqr e uqba kar ke dekh.
Sab ko apna kar ke dekha
RAB ko apna kar ke dekh.
Sab k raste, suqoon talash kar k dekha
Rasool (S. A. W) k raste, suqoon talash kar ke dekh.-
दर्द में डूबी ये दास्तां है
बदहाल हालात-ए-हिंदुस्तान है
जहां सिर्फ बात होती थी कर्म की
वहां राजनीति हो रही है धर्म की
जहां की मिट्टी से खुशबू आती रही है
वहां राजनीति की बदबू सता रही है
कुछ लोग जिन्ना के रास्ते चल रहे हैं
तो कुछ लोग सावरकर की सोच को नमस्ते कर रहे हैं
अरे कबतक नफरत फैलाओ गे
कबतक भ्रष्टाचार को सहलाओ गे
अगर अपनी सोच को यहां की संविधान से सटा ओगे
बड़ा पछताओ गे! बड़ा पछताओ गे!-
مقدّر جن کے اونچے اور اعلی بخت ہوتے ہیں
زندگی میں امتحان بھی انہی کے سخت ہوتے ہیں-
جب تک نہ زندگی کے حقائق پہ ہو نظر
تیرا زجاج ہو نہ سکے گا حریف سنگ
یہ زور دست و ضربت کاری کا ہے مقام
میدان جنگ میں نہ طلب کر نوائے چنگ
خون دل و جگر سے ہے سرمایہ حیات
فطرت، لہو ترنگ ہے غافل! نہ، جل ترنگ
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चल - चल के राह आसान बनाये जा
परस्तिथियाँ खुद के अनुकूल बनाये जा
हो विपरीत परिस्तिथियाँ तो
खुद को प्रीत बनाये जा
चल - चल के राह आसान बनाये जा
बनाना हो तो खुद को इंसान बनाये जा
डगमग -डगमग डोले जो कदम तेरे
तो खुद को संभाल - संभाल संभले जा
चल - चल के राह आसान बनाये जा
हर मोड़ पे हैं टांग अडा के गिराने वाले
फूंक मार - मार के कदम बढ़ाये जा
ना है कोई तुझे यहाँ चाहने वाले
कर खुद से इश्क़, और ये सफर आगे बढ़ाये जा
चल - चल के राह आसान बनाये जा-
Tere na hone se kuch bhi nahi badla..
Bss kal jo chain se "sota" tha
Aaj wo bechain ho ke "rota" hai.-
Naaam me kya rakha hai janaab
Khubsoorat toh wo bhi nahi hoti jiska naam "BEAUTY" hai-
Log seerat pe marte hain
Hum surat pe marte hain
Log jhuth kehte hain
Hum sach kehte hain-